‘मृदुला गर्ग’ 15 अगस्त 1947 का स्वतंत्रता समारोह देखने इसलिए नहीं जा सकी, क्योंकि वह बीमार थी।
जब 15 अगस्त 1947 को भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिली और देश की स्वतंत्रता का समारोह मनाया जा रहा था तो लेखिका मृदुला गर्ग को टाइफाइड का रोग हो गया था। इसी कारण लेखिका स्वतंत्रता समारोह में नही जा सकी।
लेखिका ने ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में वर्णन किया है कि 15 अगस्त 1947 को जब देश को स्वतंत्रता मिली तो वह अपने पिताजी के साथ देश की स्वतंत्रता के समारोह में शामिल होने के लिए नहीं जा सकी, क्योंकि उस समय उन्हें टाइफाइड का रोग हो गया था।
टाइफाइड बीमारी उस समय जानलेवा बीमारी मानी जाती थी। लेखिका के डॉक्टर ने इंडिया गेट जाकर में जश्न में शिरकत होने की इजाजत नहीं दी। डॉक्टर लेखिका के नाना के परम मित्र थे। इसीलिए लेखिका के पिता और नाना ने उनकी बात मानी। लेखिका मृदुला गर्ग समारोह में जाने के लिए रोती रही, लेकिन किसी ने उनकी बात नहीं सुनी, तब लेखिका की आयु 9 वर्ष की थी।
संदर्भ पाठ :
‘मेरे संग की औरतें’ पाठ में लेखिका मृदुला गर्ग ने अपने जीवन के संस्मरणओं का वर्णन किया है। यह पाठ उन्होंने अपने परिवार की महिलाओं को केंद्रित करके लिखा है। (कक्षा-9, पाठ-11 हिंदी कृतिका)