‘संस्कृति है क्या’ निबंध में ‘दिनकर’ क्या संदेश देते हैं?

‘संस्कृति क्या है’ निबंध ‘रामधारी सिंह दिनकर’ द्वारा लिखा गया एक विवेचनात्मक निबंध है। इस निबंध के माध्यम से दिनकर जी ये संस्कृति के महत्व को स्पष्ट करते हुए संस्कृति की और सभ्यता में अंतर को समझने का संदेश देते हैं।

लेखक के अनुसार संस्कृति और सभ्यता में बेहद अंतर होता है। संस्कृत के निर्माण में कलात्मक अभिरुचि का गहन योगदान होता है। संस्कृति को किसी भी परिभाषा में बंधा नहीं जा सकता। यह व्यक्ति के व्यवहार और आचरण से संबंधित होती है। लोग अक्सर संस्कृति और सभ्यता को एक समझ बैठे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है।

संस्कृति सूक्ष्मता का मूल भाव लिए होती है। इसके विपरीत सभ्यता स्थूल होती है। संस्कृति किसी भी व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व निर्माण करने में सहायक होती है, जबकि सभ्यता भौतिक साधनों से संबधित होती है।

लेखक के अनुसार संस्कृति मनुष्य के जीवन के अंदर व्याप्त होती है। यह उसी तरह मनुष्य के अंदर व्याप्त है, जिस तरह फूलों के अंदर सुगंध होती है। संस्कृति मनुष्य के जीवन को गहराई से प्रभावित करती है। किसी भी समाज के निर्माण में संस्कृति का बेहद योगदान होता है।समाज के निर्माण की मूल अवधारणा संस्कृति ही होती है। कोई भी सभ्य समाज संस्कृति के बिना नहीं निर्मित किया जा सकता है। एक सभ्य समाज के लिए सुसंस्कृत होना आवश्यक होता है।

निष्कर्ष

इस तरह दिनकर जी ने ‘संस्कृति क्या है? निबंध के माध्यम से संस्कृति की मूल अवधारणा को स्पष्ट किया है। उन्होंने संस्कृति और सभ्यता में भी अंतर को समझाने की चेष्टा की है।


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