‘टांग ही काटनी है तो काट दो।’ पाठ में प्रयुक्त वाक्य पढ़कर व्यक्ति में निहित भाव को लिखिए। (पाठ – अपराजेय)

‘टांग ही काटनी है तो काट दो।’

भाव : ‘अपराजेय’ पाठ के मुख्य पात्र अमरनाथ के द्वारा कहे गए इस वाक्य में ये भाव निहित है कि अमरनाथ के साथ दुर्घटना घटित होने पर डॉक्टर ने उनकी टांग काटने की बात कही। अमरनाथ अपने स्वास्थ्य के कारण अपने परिवारजनों को किसी तरह की परेशानी में नहीं देख सकते थे। उन्हें जब पता चला कि उनकी टांग काटना जरूरी तब ही उनकी जान बच सकती है तो वह इसके लिए तैयार हो गए। यदि उनकी जान संकट में आती तो उनके घरवालों को भी तकलीफ होगी, इसलिए अपने घरवालों को किसी भी तक तरह की तकलीफ से बचाने के लिए उन्होंने कहा, कि टांग ही काटनी है तो काट दो।’ इस बात से उनकी सकारात्मक सोच के बारे में पता चलता है वह अपने जीवन में आने वाली किसी भी तरह की कठिन परिस्थिति का साहस और निडरता से सामना करने के लिए तैयार थे।

संदर्भ पाठ

‘अपराजेय’ पाठ अमरनाथ नाम के एक व्यक्ति के बारे आधारित पाठ है, जिसमें उनकी जीवन संघर्ष यात्रा के बारे में बताया गया है। दुर्घटना के कारण पहले उनकी टांग काटनी पड़ी फिर उनकी दाहिनी बाजू भी काटनी पड़ी। बाद में बीमारी के कारण उनकी आवाज तक चली गई लेकिन उन्होंने अपने जीवन से हार नही मानी और अपने जीवन को पूरी जीवटता और साहस से जिया।


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‘अपराजेय’ इस पाठ मे अमरनाथ की जगह आप होते तो समस्याओं का कैसे सामना करते?​

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