‘संस्कार और भावना’ एकांकी में उमा बड़ी बहू के रूप की प्रशंसा इन शब्दों के माध्यम से करती है। उमा माँ से बातचीत करते हुए कहती है कि बड़ी बहु बहुत बोली और प्यारी है। जो एक बार उसका रूप देख ले उसके रूप को भुला नहीं सकता। उसके रूप को देखकर बार-बार उसको देखने का मन करता है। उसकी बड़ी-बड़ी काली आँखें थी, जिनमें से उसकी भोली मुस्कुराहट दिखाई दे रही थी। उसके गालों पर लज्जा की लालिमा साफ दिखाई दे रही थी। उमा अपनी माँ से कहती है कि उसके रूप को देखकर वह चौंक उठी और उसने मन ही मन सोचा कि बंगाली लोग इतने सुंदर भी होते हैं, क्या? इस तरह उमा अपनी माता के सामने बड़ी बहू के रूप की प्रशंसा इन शब्दों के माध्यम से कर रही थी।
‘विष्णु प्रभाकर’ द्वारा ‘संस्कार और भावना’ एकांकी में बड़ी बहू अविनाश की पत्नी थी, जिसके साथ शादी करके अविनााश अपनी माँ से अलग हो गया था। अविनाश माँ का बड़ा बेटा था तो अतुल छोटा बेटा था, जिसकी पत्नी उमा था। उमा बड़ी बहू के पास यही शिकायत लेकर गई थी कि उसके कारण अविनाश अपनी माँ से अलग हो गया।
‘संस्कार और भावना’ एकांकी विष्णु प्रभाकर द्वारा रचित किया गया सामाजिक एकांकी है। यह एकांकी प्रेम विवाह के कारण एक परिवार में उपजी असंगत परिस्थितियों पर केंद्रित है। माँ इस एकांकी की मुख्य पात्र है। अन्य पात्रों में उनके दो बेटे अविनाश और अतुल तथा दो बहुएं बड़ी बहू और छोटी बहु उमा है। बड़ी बहू एक बंगाली स्त्री है, जिससे प्रेम विवाह करने के कारण अविनाश अपनी माँ का घर छोड़कर अकेले रहने लगता है।
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