परशुराम जी के क्रोधित वचनों को सुनकर लक्ष्मण जी उनको किस प्रकार प्रत्युत्तर देते हुए और अधिक व्यंग्य कसते हैं?

लक्ष्मण जी परशुराम के क्रोधित वचनों का प्रत्युत्तर देते हुए अत्यंत चतुराई और व्यंग्य का प्रयोग करते हैं…
  1. वे परशुराम की वीरता का मजाक उड़ाते हुए कहते हैं कि वे ‘फूँक से पहाड़ उड़ाना’ चाहते हैं।
  2. लक्ष्मण यह भी कहते हैं कि वे कोई ‘सीता फल’ (कुम्हड़े का छोटा फल) नहीं हैं जो परशुराम की तर्जनी उँगली देखकर ही मर जाएँगे।
  3. वे परशुराम के हथियारों (फरसा और धनुष-बाण) का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि इन्हें देखकर ही उन्होंने कुछ कहा था, जो उनकी निडरता दर्शाता है।
  4. लक्ष्मण यह भी कहते हैं कि वे एक क्षत्रिय होने के नाते ही परशुराम से इस तरह बात कर रहे हैं।
  5. अंत में, वे परशुराम के ब्राह्मण होने का उल्लेख करते हुए कहते हैं कि वे अपने क्रोध को नियंत्रित कर रहे हैं।
इस प्रकार, लक्ष्मण अपने व्यंग्य के माध्यम से न केवल परशुराम की वीरता का मजाक उड़ाते हैं, बल्कि अपनी निडरता और क्षत्रिय धर्म का भी प्रदर्शन करते हैं।

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