‘वैज्ञानिक चेतना के वाहक – डॉ. वेंकट रमन’ पाठ के द्वारा लेखक उस वैज्ञानिक चेतना की ओर ध्यान आकर्षित कराना चाह रहा है, जो प्रकृति में मौजूद है। लेखक के अनुसार डॉ. रमन ने इसी वैज्ञानिक चेतना को खोजा।
डॉ, रमन का कहना था कि किसी भी बात को जानने के लिए, किसी भी जिज्ञासा के समाधान के लिए उसे प्राकृतिक दृष्टिकोण से जानना समझना चाहिए । किसी जिज्ञासा के मूल में जाने के लिए प्राकृतिक दृष्टिकोण से यदि समझेंगे तो उस समस्या का सही समाधान मिलेगा। प्रकृति के अंदर ही एक वैज्ञानिक चेतना छुपी है।
जितना हम प्रकृति को निकट से जानेंगे उतना ही हम प्रकृति के अनसुलझे रहस्य को समझने की दिशा में कदम बढ़ाएंगे। आम जन भी इस चेतना का अनुभूत कर सकता है, बशर्ते वह प्रकृति को बारीकी से समझे। प्रकृति को अधिक से अधिक जानना ही वैज्ञानिक चेतना को विकसित करता है, क्योंकि यह प्रकृति वैज्ञानिकता से भरी पड़ी है। प्रकृति के वैज्ञानिक रहस्यों का भेदन करने को ओर ही लेखक ध्यान आकृष्ट करना चाहते हैं।
संदर्भ पाठ : वैज्ञानिक चेतना के वाहक – चन्द्रशेखर वेंकट रामन, (कक्षा – 9, पाठ – 4, हिंदी स्पर्श)
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