नव गति, नव लय, ताल-छंद नव नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; नव नभ के नव विहग-वृंद को नव पर, नव स्वर दे! कौन सा अलंकार है? 1. अनुप्रास अलंकार 2. यमक अलंकार 3. श्लेष अलंकार 4. पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; नव नभ के नव विहग-वृंद को नव पर, नव स्वर दे! इस पंक्ति में अनुप्रास और यमक दोनों अलंकार हैं।

नव गति, नव लय, ताल-छंद नव नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव; नव नभ के नव विहग-वृंद को नव पर, नव स्वर दे!

अलंकार : अनुप्राल अलंकार और यमक अलंकार

स्पष्टीकरण :

इस पंक्ति में अनुप्रास अलंकार और यमक अलंकार दोनो हैं।

अनुप्रास अलंकार होने के कारण

इस पंक्ति में ‘न’ वर्ण की 10 बार आवृत्ति हुई है। इसलिए यहाँ पर अनुप्रास अलंकार है।
इस पंक्ति में ‘नव’ शब्द की समान अर्थो अलग-अलग एक से अधिक आवृत्ति हुई है इसलिए इस पंक्ति में अलंकार है।

यमक अलंकार होने कारण

‘नव नभ के नव विहग-वृंद’ में
1. ‘नव’ शब्द दो बार आया है।
2. पहला ‘नव’ का अर्थ है ‘नया’, जो ‘नभ’ (आकाश) के लिए विशेषण है।
3. दूसरा ‘नव’ का अर्थ है ‘नौ’, जो ‘विहग-वृंद’ (पक्षियों के समूह) की संख्या बताता है।

इस प्रकार, ‘नव’ शब्द की पुनरावृत्ति हुई है, लेकिन दोनों स्थानों पर इसका अर्थ अलग है। यह यमक अलंकार की पहचान है।

विकल्पों में दिए अन्य दो अलंकार न होने का कारण

पुनरुक्ति प्रकाश एक समान शब्द की लगातार दो बार आवृत्ति होती है, जैसे अलग-अलग, धीरे-धीरे, झम-झम आदि। इस काव्य पंक्ति में ऐसा नही है। यहाँ कोई भी शब्द लगातार दो बार नहीं आया है, इसलिए यहाँ पर पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार नहीं है।

श्लेष अलंकार में एक शब्द के अलग-अलग अर्थ प्रकट होते हैं। यहाँ पर इस पंक्ति में ऐसा नहीं है। इसलिए इस पंक्ति मे पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार भी नही है।


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‘उगलेंगे आग कारखाने, हर ओर अंधेरा छाएगा’ – पंक्ति में कौन-सा अलंकार है?

“कहती हुई यों उत्तरा के नेत्र जल से भर गये। हिम के कणों से पूर्ण मानो, हो गये पंकज नये।।”- इस पंक्ति में अलंकार है?

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