कवि को प्रकृति के किन-किन रूपों को देख कर ईश्वर की याद आती है। (‘जब याद तुम्हारी आती है’ कविता)

‘जब याद तुम्हारी आती है’ कविता में प्रकृति के अनेक रूपों को देखकर कवि को ईश्वर की याद आती है। कवि के अनुसार जब सुबह-सुबह चिडियाँ उठकर खुशी के गीत गाती है, फूलों की कलियां अपने पंखुड़ी रूपी दरवाजे खोल खोल अपनी मंद-मंद मुस्कान बिखेरती हैं, और कलियों की वह खुशबू जब घरों में फैल जाती है, तब प्रकृति के इन रूपों को देखकर कवि को ईश्वर की याद आती है।

कवि के अनुसार जब बारिश की बूंदे छम-छम कर धरती पर गिरती हैं। आकाश में बिजली चमचम होकर चमकती है। मैदानों में, वनों में, बागों में, चारों तरफ हरियाली दिखाई पड़ती है। वातावरण में ठंडी-ठंडी हवा मंद-मंद मस्त होकर चलती है, तो प्रकृति के इन रूपों को देखकर कवि को ईश्वर की याद आती है।

‘जब याद तुम्हारी आती है।’ कविता कवि पंडित रामनरेश त्रिपाठी द्वारा रचित कविता है। इस लघु कविता के माध्यम से उन्होंने प्रकृति की सुंदरता का बखान करते हुए इतनी सुंदर प्रकृति बनाने के लिए ईश्वर का धन्यवाद किया है।


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