प्रकृति का महत्व (निबंध)

निबंध

प्रकृति का महत्व

 

प्रकृति ईश्वर का बहुत ही खूबसूरत और अनमोल तोहफ़ा है। जो कुछ भी हमारे चारों और है, जिसे हम देख या महसूस कर सकते हैं, वह प्रकृति है, जैसे पेड़ पौधे, हवा, पानी, जमीन, आकाश, आग, बारिश, पशु पक्षी, जीव जंतु आदि। प्रकृति का अस्तित्व मानव जीवन के अस्तित्व से भी प्राचीन है। प्रकृति है तो हम हैं, अर्थात प्रकृति ही है जो पृथ्वी पर जीवन को संभव बनाती है।

प्रकृति का पारिस्थितिक तंत्र पृथ्वी पर जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। पारिस्थितिक तंत्र के दो घटक हैं, पहला जैविक घटक और दूसरा भौतिक या अजैविक घटक। जैविक घटक में सभी जीवित प्राणी जैसे कि मानव, पेड़-पौधे, जीव जंतु, पशु पक्षी आदि शामिल हैं, जबकि अजैविक घटक में जलवायु, तापमान, आर्द्रता, बारिश, चट्टानें आदि शामिल हैं।

पारिस्थितिक तंत्र के सभी कारक एक दूसरे पर निर्भर करते हैं, और जीवन पारिस्थितिक तंत्र पर निर्भर करता है। प्रकृति के सभी रूप मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं, जैसे जो पानी हम पीते हैं, जिस हवा में हम सांस लेते हैं, सूरज की रोशनी जो हमारे लिए तापमान संतुलित करती है, और जो फल और भोजन हम खाते हैं, मिट्टी और जमीन जो हमें आश्रय प्रदान करती है। सभी अन्य कारक जैसे फल-फूल चहचहाते पक्षी, चांद तारे, सूरज चांद की चांदनी, बदलते मौसम यह सब हमारे पर्यावरण को और भी सुंदर और रहने योग्य बनाते हैं।

प्रकृति पृथ्वी पर जीवन के लिए एक सुरक्षात्मक कवच प्रदान करती है, और मानव को हर नुकसान से बचाती है। मानव जीवन की हर जरूरत को पूरा करके मानव को पोषित करती है। इसलिए प्रकृति को “प्रकृति माँ” भी कहते हैं, क्योंकि प्रकृति एक माँ की तरह ही मानव की देखभाल करके उसकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करती है।

प्रकृति को शिक्षा का भी एक बहुत अच्छा स्रोत माना गया है। प्रकृति मनुष्य को बहुत कुछ सिखाती है। प्रकृति समय के साथ बदलती रहती है, जैसे बदलती ऋतुएं बदलती प्रकृति का हिस्सा हैं। बदलती ऋतुएँ हमें परिस्थितियों के हिसाब से बदलना सिखाती हैं, पेड़ हमें नम्रता सिखाते हैं, फूल हमें हर मुसीबत में मुसकुराना सिखाते हैं, और पहाड़ हमें मजबूती सिखाते हैं।

प्रकृति कई वर्षों से कवियों लेखकों चित्रकारों और कलाकारों आदि के लिए प्रेरणा का स्त्रोत रही है। इसके अलावा प्रकृति में कई औपचारिक गुण भी शामिल है यह कई गंभीर रोगों से पीड़ित लोगों को ठीक करने में सहायता करती हैं। प्रकृति मानसिक तनाव को भी कम करती हैं। अस्पताल में पड़े मरीज भी प्रकृति की गोद में जल्दी ही ठीक हो जाते हैं प्रकृति मानव के तन मन को तरोताजा करती हैं, इसलिए प्रकृति को प्राकृतिक चिकित्सक भी कहा गया है।

प्रकृति की गोद में समय बिताने से मानव स्वस्थ और लंबा जीवन व्यतीत कर सकता है। प्रकृति बहुत ही शक्तिशाली है अगर यह मानव की रक्षा कर सकती हैं तो मानव के जीवन को पल भर में नष्ट करने की क्षमता भी रखती है। हमें प्रकृति के साथ छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ हमें बुरे परिणाम दे सकती हैं, जैसे कि भूकंप, बाढ़, सुनामी, सूखा आदि। प्रकृति हमारे जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। प्रकृति के एक भी कारक में खराबी से पूरा का पूरा जीवन प्रभावित हो सकता है इसलिए प्रकृति के संरक्षण की आवश्यकता को हमें समझना चाहिए। प्रकृति के ऊर्जा के स्त्रोत अनंत नहीं है। हम उन्हें निरंतर और लापरवाही से उपयोग करके नष्ट करते जा रहे हैं।

औद्योगीकरण और शहरीकरण से ग्लोबल वार्मिंग और ग्रीन हाउस प्रभाव में तेजी से वृद्धि हो रही है। जिससे हमारा वातावरण बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। पेड़ों को काटने और बढ़ते परिवहन से प्रदूषण तेजी से फैल रहा है। फैक्टरियों आदि से निकलने वाला कचरा, धुआं और अन्य हानिकारक पदार्थ धरती पर जीवन के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं अतः कई बड़ी बीमारियों का कारण बन रहे हैं। अगर हम अपनी आने वाली पीढ़ी को विरासत में सुंदर और स्वस्थ वातावरण देना चाहते हैं, तो आज हमें प्रकृति के संरक्षण के महत्व को समझना होगा। हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाकर, पर्यावरण को हरा-भरा तथा साफ सुथरा रखना चाहिए। पॉलीथिन प्लास्टिक आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।


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