लेखक ने नवाब साहब के खीरा खाने के आग्रह को इसलिए नकार दिया था क्योंकि इससे पहले नवाब साहब द्वारा किया गया रुखा व्यवहार लेखक को अच्छा नहीं लगा था। जब लेखक ट्रेन के डिब्बे में घुसा तो सामने की सीट पर बैठे नवाब से लेखक ने औपचारिकतावश बात करने की कोशिश की, लेकिन नवाब साहब ने लेखक के प्रति रूखा रवैया अपनाया और लेखक की औपचारिक बात का कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया। इसी कारण लेखक के आत्मसम्मान को चोट पहुंची।
बाद में जब नवाब साहब ने अपने साथ लाए खीरे को काटा और लेखक से खीरा खाने का आग्रह किया तो लेखक नवाब द्वारा किया गया रूखा व्यवहार याद आ गया। हालाँकि लेखक रसीले खीरों को देखकर लेखकर के मुँह में पानी आ रहा था, लेकिन नवाब साहब द्वारा इससे पहले किए गए व्यवहार के कारण लेखक अपना आत्मसम्मान आहत हुआ महसूस हुआ था। इसी कारण अपने आत्मसम्मान को बचाने की खातिर ही लेखक ने नवाब साहब द्वारा खीरे खाने के आग्रह को ठुकरा दिया।
‘लखनवी अंदाज’ पाठ ‘यशपाल’ द्वारा लिखी गई कहानी है जिसमें उन्होंने अपनी एक रेल यात्रा का वर्णन किया है। जब वह किसी काम से ट्रेन से यात्रा कर रहे थे और ट्रेन के डिब्बे में उनका एक नवाब से सामना हुआ। नवाब के साथ हुए घटनाक्रम उन्होंने इस कहानी के माध्यम से प्रस्तुत किया है।
संदर्भ पाठ
‘लखनवी अंदाज’ लेखक यशपाल (कक्षा-10 पाठ-12 हिंदी क्षितिज)
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