सर्वधर्म समभाव पर अपने विचार लिखिए।

विचार लेखन

सर्वधर्म समभाव

 

सर्वधर्म समभाव का अर्थ है, सभी धर्मों को समानता की दृष्टि से देखना। अपने मन में यह भाव रखना कि दुनिया में जितने भी धर्म हैं, वह सभी धर्म समान हैं। सभी धर्मों के रास्ते भले ही अलग हों, उनकी जीवन पद्धतियां भले ही अलग हों, लेकिन उनके लक्ष्य एक ही है और वह है ईश्वर को समझना। चाहे हिंदू हों, मुस्लिम हों, सिख हों अथवा ईसाई हों, बौद्ध हो, जैन हों, बौद्ध धर्म हों, जैन हों, पारसी हों, यहूदी हों सभी धर्म एक समान है। कोई भी धर्म बड़ा या कोई भी धर्म छोटा नहीं होता है। सभी धर्मों को समान समझना चाहिए। यही सर्वधर्म समभाव है।

आज के इस युद्ध में जब धर्मों के प्रति कट्टरता बढ़ती जा रही है और अपने-अपने धर्म के अनुयायी अपने-अपने धर्म को ही श्रेष्ठ समझने लगे हैं तथा दूसरे धर्म को हीन समझते हैं। ऐसी स्थिति में सर्वधर्म समभाव की भावना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। लोगों को सर्वधर्म समभाव के प्रति जागरूक करना बेहद आवश्यक हो गया है ताकि लोग सभी धर्म को समान समझे और अपने धर्म के अलावा दूसरे धर्म को घृणा की दृष्टि से नहीं देखें। वह सभी धर्म का सम्मान करें और दूसरे धर्म के अनुयायियों को भी अपने जैसा ही समझे तभी सर्वधर्म समभाव का मूल मंत्र इस समाज में सार्थक हो पाएगा।


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