दिए गए काव्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िए एवं उस पर आधारित प्रश्न के उत्तर लिखिए। पॉयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई। सॉवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई। माथे किरीट बडे दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई। जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्री ब्रज दूलह देव सहाई।। प्रश्न-1 : श्रीकृष्ण को संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा गया है? प्रश्न-2 : काव्यांश का भावार्थ लिखिए।

प्रश्न : श्रीकृष्ण को संसार रूपी मंदिर का दीपक क्यों कहा गया है

उत्तर : श्रीकृष्ण को संसार रूपी मंदिक का दीपक इसलिए कहा गया है क्योंकि उनका रूप अत्यन्त शोभायमान है। उनके अत्यन्त आलोकिक रूप से पूरा संसार जगमग हो उठा है, बिल्कुल उसी तरह जिस तरह दीपक से मंदिर जगमग हो जाता है। उसी श्रीकृष्ण के रूप से ये संसार जगमग हो उठा है, इसलिये उन्हे संसार रूपी मंदिर का दीपक कहा गया है।

पॉयनि नूपुर मंजु बजैं, कटि किंकिनि कै धुनि की मधुराई।
सॉवरे अंग लसै पट पीत, हिये हुलसै बनमाल सुहाई।
माथे किरीट बडे दृग चंचल, मंद हँसी मुखचंद जुन्हाई।
जै जग-मंदिर-दीपक सुंदर, श्री ब्रज दूलह देव सहाई।।

काव्यांश का भावार्थ लिखिए।

अर्थ : कवि देव कहते हैं कि वो श्रीकृष्ण जिनके पैरों मे घुंघरु बधें हैं और जब श्रीकृष्ण चलते हैं, वह घुंघरु मधुर ध्वनि उत्पन्न कर रहे हैं। जिनकी कमर पर जो किंकणी (करधनी) बंधी हुई है वो अत्यन्त सुंदर लग रही है। श्रीकृष्ण के सावंले-सलोने अंगो पर पीले वस्त्र अत्यन्त शोभायमान हो रहे हैं। वह अपने गले में वनफूलों से बनी माला पहने हुए है, जो कि उनके हृदय पर अत्यन्त शोभायमान हो रही है।

श्रीकृष्ण के चंद्रमा के सुंदर पर उनकी मधुर मुस्कान ऐसे प्रतीत हो रही जैसे उनके चंद्रमा के समान मुख पर चाँदनी बिखर रही हो। श्रीकृष्ण संसार रूपी में मंदिर में दीपक के समान प्रतीत हो रहे है। हे ब्रज के दूल्हे, आप देव के सहायक बनें, समस्त देवगण आपसे सहायता की प्रार्थना कर रहे हैं।


Other questions

”कारतूस’ पाठ के संदर्भ में लेफ्टिनेंट को कैसे पता चला कि हिंदुस्तान में सभी अंग्रेजी शासन को नष्ट करने का निश्चय कर चुके हैं​?

कवि और कोयल के वार्तालाप का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।

Related Questions

Comments

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Questions