कृष्ण-अर्जुन में समास को पहचानते हैं…
कृष्ण-अर्जुन : कृष्ण और अर्जुन
समास का नाम : द्वंद्व समास
स्पष्टीकरण :
‘कृष्ण-अर्जुन’ में द्वंद्व समास इसलिए है क्योंकि यहां पर कृष्ण और अर्जुन यह दोनों पद प्रधान हैं। द्वंद्व समास में दोनों पद प्रधान होते हैं।
द्वंद्व समास की परिभाषा के अनुसार दोनों समास में दोनों पद प्रधान होते हैं तथा जब इन पदों का समास विग्रह किया जाता है तो इन पदों के बीच ‘और’, ‘अथवा’, ‘या’, ‘एवं’ जैसे योजक लगते हैं।
जैसे
माता-पिता : माता और पिता
सुख-दुख : सुख और दुख
छल-कपट : छल और कपट
आगे-पीछे : आगे और पीछे
समास से तात्पर्य शब्दों के संक्षिप्तीकरण से होता है। हिंदी व्याकरण की भाषा में समास उस प्रक्रिया को कहते हैं, जब दो या दो से अधिक पदों का संक्षिप्तीकरण करके एक नवीन पद की रचना की जाती है।