बाल गोपाल कृष्ण ने माखन न खाने की अनेक दलीलें दीं।
बाल गोपाल कृष्ण माता यशोदा के सामने अपनी दलीले पेश करते हुए कहते हैं कि मेरे हाथ तो इतने छोटे-छोटे हैं। मैं माखन का यह छींका कैसे उतार सकता हूँ। यह छींका तो इतना ऊपर लगा हुआ है। मैं अपने नन्हे नन्हे हाथों से उस छींके तक कैसे पहुंच सकता हूँ।
बाल गोपाल ने दूसरी दलील लेते हुए कहा कि मेरे यह जो साथी बाल-ग्वाले हैं, यह सब मेरे दुश्मन हैं। इन्होंने ही जबरदस्ती मेरे मुँह पर माखन लगा दिया ताकि आप यह समझो कि मैंने ही माखन चुराया है।
वह माता यशोदा जी कहते हैं कि हे मैया, आप मन की बहुत भोली हो, जो आप इन बाल-ग्वालों की बातों में आ गईं। यदि आपके मन में कोई भेद है यदि आप मुझे पराया मानती हो तो यह लो अपनी छड़ी और कंबल। इससे तुमने मुझे अब बहुत नाच नचा लिया। अब तुम मुझे जो सजा देनी चाहो तो दे दो।
बाल गोपाल कृष्ण के मुँह से ऐसी बाल सुलभ बातें सुनकर माता यशोदा भाव विह्वल हो गईं और उन्होंने बाल गोपाल को अपने गले से लगा लिया।
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