एफिम एलिशा को छोड़कर इसलिए चला गया क्योंकि वह गंदी झोपड़ी में नहीं रुकना चाहता था। जैसे ही दोनों ने झोपड़ी में प्रवेश किया तो वहाँ पर तीव्र दुर्गंध आ रही थी। वहाँ पर एक बीमार महिला पड़ी हुई कराह रही थी। एफिम को यह सब देखकर घृणा सी हुई। वह जल्दी से जल्दी येरूशलम पहुंचाना चाहता था जबकि एलीशा उस झोपड़ी में रुककर उन बीमार लोगों की मदद करना चाहता था। एलिशा उनकी सेवा करने के लिए झोपड़ी में रुक गया जबकि एफिम जल्दी-जल्दी येरुशलम जाने के लिए एलिशा को अकेला छोड़कर ही चला गया।
विशेष
‘सच्चा तीर्थयात्री’ कहानी में एलिशा और एफिम दो अलग-अलग स्वभाव वाले मित्र थे। येरुशलम की अपनी तीर्थयात्रा के लिए जाते समय जब रास्ते में एक झोपड़ी पड़ी तो वहां पर झोपड़ी में बीमार लोगों को देखकर एलिशा उन बीमार लोगों की सेवा करने के लिए वहीं पर रुक गया जबकि एफिम येरुशलम जल्दी पहुंचने के लिए आगे निकल गया। एलिशा के अंदर सच्ची सेवा भावना थी। एफिम के अंदर सेवा भावना नहीं थी।
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