पृथ्वी-पुत्र किस विधा की रचना है?

‘पृथ्वी-पुत्र’ निबंध विधा की रचना है।

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व्याख्या

‘पृथ्वी पुत्र’ ‘डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल’ द्वारा रचे गए निबंधों का एक संग्रह है। इस निबंध संग्रह का प्रकाशन सन् 1949 में सस्ता साहित्य मंडल, नई दिल्ली द्वारा किया गया था। ‘पृथ्वी पुत्र’ नाम के इस निबंध संग्रह में डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल द्वारा अलग-अलग विषयों पर रचे गए निबंधों का संग्रह किया गया है।डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध साहित्यकार रहे हैं। जिन्होंने अनेक उल्लेखनीय निबंध लिखे हैं। वह अपने विचारशील एवं विवेचनात्मक निबंधों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने अनेक ग्रंथों की विशेषताएं भी प्रस्तुत की हैं। उनके द्वारा लिखे गए प्रमुख निबंधों के संग्रह में पृथ्वी-पुत्र, कल्पवृक्ष, कल्पलता, मातृभूमि, वेद-विद्या, भारत की एकता, कला और संस्कृति, पूर्ण ज्योति आदि के नाम प्रमुख हैं।

इसके अलावा उन्होंने ऐतिहासिक व पौराणिक निबंध भी लिखे हैं, जिनमें महापुरुष श्रीकृष्ण, महर्षि वाल्मीकि और मनु अधिक नाम प्रमुख है। उन्होंने आलोचनात्मक ग्रंथ और शोध ग्रंथ भी लिखे हैं। ग्रंथों पर आधारित विवेचनात्मक अध्ययन के अंतर्गत उन्होंने मेघदूत : एक अध्ययन, हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पद्मावत और संजीवनी व्याख्या, कादंबरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पाणिनिकालीन भारतवर्ष, कीर्ति लता, भारत सावित्री आदि ग्रंथों पर आधारित विवेचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है। डॉ वासुदेव शरण अग्रवाल का जन्म 7 अगस्त 1904 में उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के खेड़ा नामक गाँव में हुआ था। उनका निधन 27 जुलाई 1967 को हुआ।


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