आचार्य रामचंद्र शुक्ल से प्रेमघन का प्रथम परिचय 1896 ईस्वी में ‘काशी’ (वाराणसी) में हुआ था। उस समय प्रेमघन ‘आनंद कादंबनी’ नामक पत्रिका के मुख्य संपादक थे। आचार्य रामचंद्र शुक्ल भी अपने निबंध लिखने लगे थे। वह ‘भारत एवं बसंत’ नामक निबंध को आनंद कदंबिनी पत्रिका में प्रकाशित करवाने के संबंध में काशी (वाराणसी) में बद्री नारायण चौधरी ‘प्रेमघन’ से मिले। यहीं पर दोनों का प्रथम परिचय हुआ। बाद में 1896-97 ईस्वी में ही आचार्य रामचंद्र शुक्ल का निबंध ‘भारत और वसंत’ आनंद कदंबिनी पत्रिका में प्रकाशित भी हुआ।
इसके बाद शुक्ल जी और प्रेमघन की दोनों में गहरी मित्रता हो गई। 1903 ईस्वी में प्रेमघन ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल को ‘आनंद कादंबिनी’ पत्रिका के सहायक संपादक के रूप में जोड़ लिया। आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने 1903 से 1908 ई तक आनंद कदंबिनी पत्रिका का सहायक संपादन कार्य किया।
आचार्य रामचंद्र शुक्ल हिंदी साहित्य के जाने-माने निबंधकार थे, जिन्होंने अनेक महत्वपूर्ण और कालजयी निबंधों की रचना की है। उनके द्वारा लिखे गए प्रमुख निबंधों में लोभ और प्रीति, क्रोध, अध्ययन, मित्रता जैसे निबंधों का नाम प्रमुख है। उनके द्वारा लिखे गए निबंध चिंतामणि नामक ग्रंथ में संकलित किए गए हैं।
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आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध किस नाम से प्रकाशित हैं। A. मणि B. फुलमणि C. चिंतामणि D. नीलमणि