इस संसार की रचना में ईश्वर की चतुराई के दर्शन होते हैं।
‘प्रकृति की शोभा’ कविता में कवि ‘श्रीधर पाठक’ कहते हैं कि ईश्वर ने कि संसार की रचना करते समय संसार ऐसी चतुराई दिखाई कि प्रकृति के हर तत्व का अपना महत्व और अपनी सुंदरता है। यहां पर भांति भांति के पक्षी, पशु हैं, रंग-बिरंगे फूल हैं। वनों में पेड़ों की लहराती लताए हैं, नव कणिकाएं हैं, नदियां, झील, सरोवर हैं, तो उनमें खिले कमल पर मंडराते भंवरों की गूंज सुनाई दे रही है। चारों तरफ पहाड़ों की सुंदर मनोहर इस चोटियां हैं, निर्मल जल से बहते हुए झरने हैं। अलग-अलग ऋतु का समय समय पर आना और जाना, सूर्य और चंद्र की अद्भुत शोभा, बारी बारी से दिन और रात का आना जाना, आसमान में बिखरे हुए तारे, समुद्र का असीम विस्तार यह सब देखकर इसमें स्पष्ट होता है कि संसार की रचना में ईश्वर की चतुराई के दर्शन होते हैं।
Other questions
हाइड्रोजन को क्यों लग रहा था कि मनुष्य अपने पैरों पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रहा है?