द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना इसलिए की थी क्योंकि कौरव चक्रव्यूह के माध्यम से युधिष्ठिर व अन्य पांडवों को फंसाकर उनका वध करना चाहते थे।
महाभारत में युद्ध के समय कौरवों ने चक्रव्यूह में युधिष्ठिर आदि को फंसा कर उनका वध करने की योजना बनाई थी। उस समय अर्जुन युद्धभूमि में उपस्थित नहीं थे। वह किसी कार्य से बाहर गए थे। कौरवों को पता था कि चक्रव्यूह तोड़ने की विधि केवल अर्जुन को ही पता है। युधिष्ठिर व अन्य पांडव चक्रव्यूह को नहीं तोड़ सकते। इसलिए उन्होंने चक्रव्यूह रच कर पांडवों को फंसाकर उनका वध करने की योजना बनाई।
कौरवों ने द्रोणाचार्य को चक्रव्यूह की रचना करने के लिए कहा क्योंकि चक्रव्यूह केवल द्रोणाचार्य ही रच सकते थे।
यही कारण था कि युधिष्ठिर सहित अन्य पांडवों को चक्रव्यूह में फंसाकर उनका वध करने हेतु कौरवों के कहने पर द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह की रचना की थी।
हालाँकि कौरव पूरी तरह अपनी योजना में सफल नही हो पाये क्योकि वो युधिष्ठिर व अन्य पांडवों को चक्रव्यूह में नही फंसा सके बल्कि अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु चक्रव्यूह में प्रवेश कर गया लेकिन वो चक्रव्यूह से बाहर नही निकल पाया और कौरवों द्वारा चक्रव्यूह में फंसाकर उसका वध कर दिया गया।