गांधी जी राजा हरिश्चंद्र की तरह सत्यवादी इसलिए बनना चाहते थे क्योंकि बचपन में जब उन्होंने राजा हरिश्चंद्र नाटक देखा था तो वह राजा हरिश्चंद्र की सत्यवादिता से बेहद प्रभावित हुए थे। उन्होंने राजा हरिश्चंद्र का नाटक अपने बचपन में कई बार देखा। उनके मन पर इस नाटक का गहरा प्रभाव पड़ा। यह नाटक उन्होंने कई बार देखा और राजा हरिश्चंद्र की सत्यवादिता से प्रेरित होकर गांधी जी ने सत्य एवं अहिंसा का व्रत करने का पालन करने का प्रण ले लिया। इसीलिए वह राजा हरिश्चंद्र की तरह बनना चाहते थे। राजा हरिश्चंद्र ने सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन में जिस तरह की विपत्तियां झेलीं, लेकिन सत्य का साथ नहीं छोड़ा। गांधीजी को उनकी यह सत्यवादिता बेहद प्रेरणादायक लगी। इसीलिए उन्होंने हरिश्चंद्र की तरह सत्यवादिता का व्रत का पालन करने का प्रण ले लिया और स्वंय को राजा हरिश्चंद्र की तरह सत्यवादी बनाने की ठानी।
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