लालमणि का अपनी माँ के प्रति कैसा व्यवहार था?​ (पाठ – गौरा गाय)

लालमणि का अपनी माँ गौरा गाय के साथ व्यवहार एकदम स्नेह और आत्मीयता भरा था। वह अपनी माँ के द्वारा आपके साथ मिलता-जुलता रहता था। जब उसका जन्म हुआ तो उसके बाद वह हमेशा अपनी माँ के आसपास ही मंडराता रहता था। उसे किसी दूसरी गाय का दूध हजम नहीं होता था। वह केवल अपनी माँ गौरा गाय का ही दूध पीता था। वह हर समय गौरा के साथ खेलना चाहता था।

जब गौरा बीमार पड़ी तो लालमणि को अपनी माँ की बीमारी और उसकी संभावित मृत्यु का बोध नहीं था। वह तो पहले की तरह ही अपनी माँ के साथ खेलना चाहता था और अपनी माँ का ही दूध पीना चाहता था। जब भी उसे अवसर मिलता है वह और आपके पास पहुंचकर अपना सिर मार कर गौरा को उठाना चाहता था और उसके साथ खेलने के लिए उछल-कूद करने लगता था।

‘गौरा गाय’ रेखाचित्र महादेवी वर्मा द्वारा लिखा गया है। जिसमें उन्होंने गोरा नामक एक पालतू गाय के बारे में वर्णन किया है। इस गाय को महादेवी वर्मा ने अपने घर में पाल रखा था और उसे इतने स्नेह और प्यार से पाला था कि वह महादेवी वर्मा की प्रिय गाय बन गई थी।

लेकिन गाय के प्रति लेखिका का ये लगाव के लेखिका घर में दूध देने वाले एक ग्वाले को पसंद नहीं आया। गौरा गाय के कारण लेखिका ने उस ग्वाले दूध लेना बंद कर दिया था। इसलिए ग्वाले ने चुपचाप गौरा के खाने में गुड़ के साथ सुइयां मिलाकर खिला दीं। वह सुइयां गौरा के पेट में चली गईं और गौरा के अंदरूनी अंग घायल हो गए और वह मृत्युतुल्य अवस्था में जा पहुंची। बाद में उसकी इसी कारण मृत्यु हो गई।


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‘गिल्लू’ पाठ में लेखिका की मानवीय संवेदना अत्यंत प्रेरणादायक है । टिप्पणी लिखिए ।

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