डॉ. चंद्रा ने अपनी माँ का चित्र अपनी एल्बम के अंतिम पृष्ठ पर लगा रखा था।
डॉ. चंद्रा ने अपनी माँ श्रीमती ‘टी सुब्रह्मण्यम’ का चित्र अपनी एल्बम के अंतिम पृष्ठ पर लगाया था, जिसमें वह बेंगलुरु में भी एक समारोह में ‘वीर जननी’ का पुरस्कार ग्रहण करते हुए दिखाई गई थी। डॉ. चंद्रा द्वारा लगाए गए एल्बम में लगाए गए उसकी माँ की बड़ी बड़ी उदास एवं व्यथा को प्रकट करने वाली आँखें थी। डॉक्टर चंद्रा की माँ ने अपनी बेटी डॉ. चंद्रा की सफलता के लिए अपने सारे सुखों को त्याग कर कठिन साधना की और अपनी बेटी को सफल बनाने में सबसे महत्वपूर्ण योगदान दिया।
‘अपराजिता’ पाठा की कहानी लेखिका शिवानी द्वारा लिखा गई एक प्रेरणादायकी कहानी है। इस पाठ में डॉक्टर चंद्रा के अदम्य साथ का वर्णन किया गया है। डॉक्टर चंद्रा एक अपाहिज लड़की थी, जिसके कमर से नीचे का हिस्सा काम नहीं करता था और वह व्हीलचेयर के सहारे चलती थी। अपनी शारीरिक कमी होने के बावजूद डॉक्टर चंद्रा ने हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई पूरी की। डॉ. चंद्रा ने बीएससी, एमएससी, पीएचडी की उपाधि प्राप्त की थी। चंद्रा के द्वारा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में उसकी माँ टी सुब्रह्मण्यम ने सबसे अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अपने व्यक्तिगत सुखों को त्याग कर अपनी बेटी को आगे बढ़ाने में कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ी और अपनी बेटी को उनके उसके लक्ष्य तक पहुंचाने पहुंचाकर ही दम लिया।
(पाठ ‘अपराजिता’ लेखिका – शिवानी, पाठ – 13, कक्षा – 8)
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