कहानी में ‘मोटे-मोटे किस काम के हैं’ यह घर के बच्चों के लिए कहा गया है। बच्चों के माता-पिता को ऐसा लगता है कि मोटे-मोटे बच्चे किसी काम के नहीं हैं, वे केवल दिनभर नौकरों पर हुकुम चलाते रहते हैं, खाना पीना खाते हैं, फिर सोते हैं, धमाचौकड़ी करते हैं। घर का कोई काम नहीं करते और आराम करते हैं। इसीलिए कहानी में मोटे-मोटे किस काम के घर के बच्चों के लिए कहा गया है।
विशेष :
‘कामचोर’ कहानी ‘इस्मत चुगताई’ द्वारा लिखी गई कहानी है, उसमें एक समृद्ध परिवार के आलसी बच्चों के बारे में बताया गया है, जो आलस के कारण कोई काम नहीं करना चाहते। उनसे काम कराने के लिए उनके माता-पिता को उपाय आजमाने पड़े।
संदर्भ पाठ : कक्षा -8, पाठ – 9, कामचोर, इस्मत चुगताई
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