वकालत के साथ-साथ मुंशीराम आर्य समाज के अन्य कई कामों में भी लगे रहते थे। उन्होंने कन्याओं की अच्छी शिक्षा के लिए पाठशाला खोली। इसके अलावा उन्होंने जाति-पाति के बंधनों को तोड़ने के लिए अपनी पुत्री का विवाह अपने जाति के बाहर के समाज में किया। वह दलितों के उद्धार के लिए भी अनेक कार्य करते रहते थे। उन्होंने आर्य समाज के अंतर्गत अनेक तरह के शास्त्रार्थ किए और वेद ग्रंथादि का महत्व समझाया। इसके अलावा उन्होंने शुद्धि आंदोलन भी चलाया। इस तरह मुंशी राम वकालत के साथ-साथ आर्य समाज के अलग-अलग कामों में भी लगे रहते थे।
संदर्भ पाठ
नैतिक शिक्षा (कक्षा 7, पाठ 11 – स्वामी श्रद्धानंद)
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