‘भारत देश सीता-सावित्री का देश है।’ इस वाक्य में ‘सीता-सावित्री’ शब्द बोध कराते हैं- 1. व्यक्तिवाचक संज्ञा का 2. समूहवाचक संज्ञा का 3. जातिवाचक संज्ञा का 4. भाववाचक संज्ञा का

उचित विकल्प है :

3. जातिवाचक संज्ञा

स्पष्टीकरण :

‘भारत देश सीता सावित्री का देश है।’ इस वाक्य में सीता-सावित्री शब्द जातिवाचक संज्ञा का बोध कराते हैं। यहाँ पर सीता और सावित्री इन दो शब्दों को अलग-अलग प्रयोग किया जाए तो यह शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा होंगे क्योंकि यह किसी व्यक्ति विशेष का नाम है। लेकिन यहाँ पर सीता-सावित्री शब्द व्यक्ति के संदर्भ में नहीं प्रयुक्त किया गया है। बल्कि स्त्रियों की ऐसी जाति के संदर्भ में प्रयुक्त किया गया है, जो सीता-सावित्री जैसी हैं।

सीता-सावित्री मनुष्य की ऐसी जाति के रूप में प्रयुक्त किया गया है, जिसका आचरण सीता-सावित्री जैसा होता है। इसी कारण ‘भारत देश सीता सावित्री का देश है।’ इस वाक्य में जातिवाचक संज्ञा होगी।

जातिवाचक संज्ञा के माध्यम से एक संपूर्ण जाति का बोध कराया जाता है। यहाँ पर सीता-सावित्री के माध्यम से किसी व्यक्ति विशेष का नहीं पूरी बल्कि पूरी जाति का बोध हो रहा है। इसलिए यह जातिवाचक संज्ञा है। सीता सावित्री उस नारी के संदर्भ में प्रयुक्त किया जाता है, जिसका आचरण शुद्ध हो, पवित्र हो। यहाँ पर सीता-सावित्री को उन सभी नारियों की जाति के संदर्भ में प्रयोग किया गया है, जिनका आचरण शुद्ध एवं पवित्र होता है। इसीलिए यह जातिवाचक संज्ञा होगी।


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