विष भरे कनक घटों की संसार में कमी नहीं है। आशय स्पष्ट कीजिए।

विष भरे कनक घटों की संसार में कमी नहीं है।

आशय : इस पंक्ति का आशय यह है कि विषभरे कनक घट अर्थात जहर से भरे सोने के घड़े इस संसार में हर जगह मिल जाएंगे। यहाँ पर कहने का तात्पर्य यह है कि संसार में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो रंग रूप की दृष्टि से तो बेहद सुंदर दिखाई देते हैं लेकिन उनके विचार बेहद मलिन होते हैं।

उनकी सोच बहुत गंदी होती है। वह विचारों से दूषित होते हैं। बाहरी रूप से तो वह देखने में बेहद सुंदर और आकर्षक दिखाई देंगे, लेकिन उनका मन इतना सुंदर नहीं होगा। उनका मन गंदे विचारों से दूषित होगा, उनके मन में छल कपट होगा, ईर्ष्या होगी, बेईमानी होगी, लालच होगा। इसीलिए इस तरह के मनुष्यों की संसार में कमी नहीं है, जो ईश्वर के एक कनक घट के समान है अर्थात ऐसे सोने के घड़े के समान है, जिसके अंदर जहर भरा हुआ है।


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