आसमान में रंग-बिरंगी पतंगों को देखकर हमारे मन में बेहद रोमांचक ख्याल आते हैं। आसमान में उड़ती हुई रंग बिरंगी पतंगों को देखकर हमारा मन रोमांचित हो उठता है। इन रंग बिरंगी पतंगों को देखकर हमारा मन करता है, काश हम भी पतंग होते तो हम भी यूं ही आसमान में स्वच्छंद होकर उड़ रहे होते। तब सबका ध्यान हमारी और ही होता। हम भी पतंग की तरह स्वच्छंद भाव से आसमान में चारों दिशाओं में उड़ान भर रहे होते। जब हमारा मन करता तो हम नीचे आ जाते, हम बच्चों की खुशी और आनंद का कारण बनते, इससे हमारी खुशी भी दुगनी हो जाती।
“पतंग” कविता जो कि ‘आलोक धन्वा’ द्वारा रचित की गई है। वह उनके एकमात्र कविता संग्रह से ली गई है। यह बेहद लंबी कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने बाल सुलभ आकांक्षाओं और उमंगों का सुंदर चित्रण किया है। उन्होंने बाल क्रियाकलापों तथा प्रक़ति में आए परिवर्तनों को अभिव्यक्त करने के लिए बिंबों का प्रयोग किया है। कविता के माध्यम से उन्होंने बाल मन को टटोलने की कोशिश की है। कविता बिंबों के सहारे एक अनोखी दुनिया में ले जाती है, जो रंग बिरंगी दुनिया है। जहाँ पर बालमन आकांक्षाएं विचरण करती हैं।आलोक धन्वा हिंदी के प्रसिद्ध कवि रहे हैं, जिनका जन्म 1948 में बिहार के मुंगेर में हुआ था। उन्होंने अनेक कविताओं की रचना की जो उनके एकमात्र कविता संग्रह में संकलित की गई है। उन्हें राहुल सम्मान, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद का साहित्य सम्मान, बनारसी प्रसाद भोजपुरी सम्मान जैसे सम्मान मिल चुके हैं।
संदर्भ पाठ :
“पतंग”, आलोक धन्वा (कक्षा – 12, पाठ – 2, हिंदी, आरोह)
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