संवाद लेखन
चाचाजी को सामान भिजवाने के बाद मित्र के साथ संवाद
(मान लेते हैं उन दोस्तों का नाम जय और विजय है।)
जय ⦂ हेलो विजय, तुमने मेरे चाचाजी को सारा सामान दिया?
विजय ⦂ हाँ जय, मैंने तुम्हारे चाचाजी को वे चारों लिफाफे दे दिए जो तुमने मुझे उन्हें देने के लिए दिए थे।
जय ⦂ बहुत-बहुत धन्यवाद विजय। तुमने मेरा बहुत बड़ा काम। मैं बहुत दिनों से उलझन में था कि अपने चाचाजी तक सामान कैसे पहुँचाऊ। तुमने मेरा काम आसान कर दिया।
विजय ⦂ धन्यवाद की कोई बात नही मित्र, अपने मित्र के काम आना हर मित्र का कर्तव्य है।
जय ⦂ चाचाजी ने सामान लेकर क्या कहा?
वियय ⦂ चाचा जी ने तुम्हें धन्यवाद कहा है।
जय ⦂ उन्होंने तुम्हारे सामने लिफाफे खोले थे?
विजय ⦂ उन्होंने मेरे सामने ही चारों लिफाफे खोले थे। लिफाफे में से जो किताबें निकलीं, वह किताबें देखकर वह बड़े खुश हुए। एक लिफाफे में कुछ कपड़े भी थे।
जय ⦂ उन्हें कुछ किताबें चाहिए थी। वह उनके शहर में नहीं मिल रही थीं। उन्होंने मुझे इसके बारे में पत्र लिखा था यहां पर किताबें मिल गई और मैंने उन्हें भेज दी मैं किताबों के बड़े शौकीन हैं। मेरी माँ ने उन्हे, चाची और बच्चों के लिए कुछ कपड़े भी भेजे थे।
विजय ⦂ हाँ, यह बात उनके चेहरे को देखकर पता चल रही थी। जब उनकी मनपसंद किताबें उनको मिल गई तो वह बड़े खुश हुए उनके चेहरे उन्होंने तुम्हारे प्रति बहुत आभार व्यक्त किया। वह तुम्हारी बहुत तारीफ कर रहे थे।
जय ⦂ तारीफ के हकदार तुम भी हो, तुमने वह सामान उन तक पहुँचाने में तुमने मेरी मदद की।
विजय ⦂ ऐसी कोई बात नहीं हम सब एक दूसरे के काम आते हैं।
जय ⦂ अच्छा चलो मैं चलता हूँ, बाद में मिलते हैं। एक बार फिर से धन्यवाद।
विजय ⦂ तुम्हारा स्वागत है मित्र, फिर मिलेंगे।