संवाद लेखन
दो मित्रों के बीच दुर्गा पूजा के विषय में संवाद
(दुर्गा पूजा के आयोजन पर दो दोस्तों अतुल एवं अंशुल में संवाद हो रहा है।)
अतुल ⦂ दोस्त अंशुल, तुम जानते हो कि हमारी कॉलोनी में दुर्गा पूजा के अवसर पर विशाल भव्य आयोजन किया गया था। तुम नहीं थे, नहीं तो तुमको भी देखने के लिए बुलाता।
अंशुल ⦂ हाँ यार, मैं अपनी नानी के घर गया था, नहीं तो मैं जरूर आता। तुम तुम विस्तार से बताओ। दुर्गा पूजा के आयोजन पर क्या-क्या हुआ?
अतुल ⦂ हमारे क्षेत्र में माँ दुर्गा की विशाल प्रतिमा की स्थापना हमारी कॉलोनी के पार्क के मैदान में की गई थी। रोज 9 दिनों तक माँ दुर्गा की मूर्ति पूजा-आराधना होती और रात में गुजराती नृत्य गरबा एवं डांडिया का आयोजन किया जाता था।
अंशुल ⦂ अच्छा। फिर तो बहुत मजा आता होगा।
अतुल ⦂ हाँ, हमारे कालोनी की दुर्गा पूजा में सभी राज्यों मिश्रित संस्कृति को मिलाकर आयोजन किया गया था। यानि अलग-अलग राज्यों में जिस तरह दुर्गा पूजा की जाती सभी राज्यों की संस्कृति का मिश्रित रूप लिया गया। हमने बंगाली संस्कृति के दुर्गा पूजा और गुजराती संस्कृति गरबा, डांडिया नृत्य का को मिलाया गया। उसके अलावा उत्तर भारतीय शैली को मिलाया।
अंशुल ⦂ यह तो बहुत ही रोचक बात है। मैं इस अनोखे आयोजन को नहीं देख पाया इसका मुझे अफसोस है। यह मिश्रित संस्कृति का आयोजन देखना बड़ा ही रोमांचक अनुभव होता।
अतुल ⦂ कोई बात नही, अगले वर्ष इससे भी अधिक विशाल स्तर पर हमारी कॉलोनी में दुर्गा पूजा का आयोजन करने पर विचार किया जा रहा है। तब तुम बार तुम जरूर आना।
अंशुल ⦂ हाँ, मैं जरूर आऊंगा।