‘दाह जग-जीवन को हरने वाली भावना’ क्या होती है ? ​

‘दाह जग-जीवन को हरने वाली भावना’ का अर्थ है कि भारत एक ऐसा देश है, जहाँ संसार के मानचित्र पर भारत का भले ही एक भौगोलिक स्वरूप है, लेकिन भारत केवल भूमि पर बस बने हुए एक टुकड़े भर का नाम नहीं है, बल्कि यह मन में स्थापित होने वाली एक भावना है। भारतवासियों की भावना ऐसी है जो इस संसार और जीवन के सभी दुखों को आत्मसात करने वाली भावना है। यह समस्त जग की विषमताओं को हर लेने वाली भावना है। यहां पर भारत भूमि में जीवन के आदर्श मिलते हैं, यहाँ पर किसी तरह का भ्रम नहीं है, बल्कि यहां पर त्याग और निष्काम सेवा की भावना मिलती है।

भारत भूमि समस्त संसार के समस्त कष्टों और दुखों को भरने वाली भावना से ओतप्रोत भूमि है। इसी कारण यहाँ पर संसार के कल्याणार्थ अनेक महापुरुष हुए हैं, जिन्होंने परमार्थ के हेतु त्याग और बलिदान का जीवन जिया।

‘भारत का संदेश’ नामक कविता रामधारी सिंह दिनकर द्वारा लिखी गई कविता है। इस कविता के माध्यम से दिनकर जी ने भारत देश की खूबसूरती का वर्णन किया है। उन्होंने भारत को केवल भूमि पर बसा हुआ एक भौगोलिक स्वरूप ही नहीं माना बल्कि यह संस्कृति और परंपरा से भरी हुई एक देव भूमि के समान है। यहाँ पर केवल उपजाऊ मैदान, हरी घटियां, नदियां, पर्वत, पहाड़ ही नहीं बल्कि चरित्र, संस्कृति और परंपराओं की विरासत भी मौजूद है।

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