सभी प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार होंगे…
महात्मा निराले भगत की किस बात से खुश हुए?
उत्तर : महात्मा निराले भगत ही इस बात से खुश हुए थे कि निराला भगत जब महात्मा के दर्शन करने आया तो एक पखवाड़े तक एक टांग पर बुत बनकर खड़ा रहा था। उसकी यह तपस्या देखकर महात्मा बेहद खुश हुए और उसे वरदान मांगने के लिए कहा।
भगत को पारस देते समय महात्मा ने उससे क्या कहा?
उत्तर : भगत को पारस देते समय महात्मा ने उससे कहा कि यह पारस लोहे को सोना बना देता है।लेकिन तुम इसे कि केवल एक बार ही प्रयोग में ला सकते हो। तुम जितना लोहा इकट्ठा कर सकते हो कर लो और उसे इस पारस की सहायता से सोने में बदल देना। एक बार तुमने लोहे से सोना बना लिया तो दोबारा इस पारस को तुम प्रयोग नहीं कर पाओगे। एक पखवाड़े बाद मैं यह पारस लेने वापस लेने आ जाऊंगा।
बनिए और भगत के बीच हुई बातचीत से भगत के स्वभाव के विषय में क्या पता चलता है?
उत्तर : बनिए और भगत के बीच हुई बातचीत से भगत के अत्याधिक लालची स्वभाव का पता चलता है। उसके मन में संतोष नही था। वो बेहद लालची किस्म का व्यक्ति था और ना ही उसे समय का महत्व पता था।
गाड़ियों के समय पर न पहुँचने पर बनिए ने भगत को क्या समझाया?
उत्तर : गाड़ियों के समय पर न पहुंचने पर बनिए भगत को समझाया कि समय बेहद महत्वपूर्ण है। पखवाड़ा बीतने का समय निकला जा रहा है, महात्मा पखवाड़ा बीतते ही महात्मा जी पारस को वापस लेने आ जाएंगे। जो गाड़ियां लोहा लाने को भेजी हैं, वह शायद किसी अनहोनी के कारण फंस गई है और शायद समय से नही आ पाएं। इसलिए हमारे सामने जो भी लोहा इस समय मौजूद है, उसी को सोना बना लेते हैं। नहीं तो समय निकल जाने पर वह भी सोना नहीं बन पाएगा।
इस कहानी से कैसे पता चलता है कि समय अनमोल है?
उत्तर : इस कहानी से यह पता चलता है कि समय बड़ा महत्वपूर्ण है। यदि भगत समय के मूल को समझते हुए लालच में नहीं पड़ता और सही समय बीतने से पहले ही जितना लोहा उसके पास था, उसी को पारस की सहायता से सोना बना लेता तो उसके हाथ कुछ ना कुछ तो लगता। लेकिन वह अपने अत्याधिक लालच और समय को महत्वपूर्ण न समझ पाने के कारण उसने हाथ आए अवसर को भी गंवा दिया।
संदर्भ पाठ : स्वर्ण मरीचिका, लेखक-विजयदान देथा (कक्षा-7, पाठ-8, हिंदी संचयन)