संवाद
ग्रीष्मावकाश गंगा किनारे बिताने के संबंध दो मित्रों के मध्य संवाद
पहला मित्र ⦂ मित्र इस बार तुम ग्रीशमवकाश में कहाँ जा रहे हो।
दूसरा मित्र ⦂ मैं हरिद्वार जा रहा हूँ अपनी नानी के घर।
पहला मित्र ⦂ मित्र क्या तुम जानते हो कि भारत की सबसे प्रमुख नदी कौन सी है?
दूसरा मित्र ⦂ कौन सी है?
पहला मित्र ⦂ गंगा नदी भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है और यह हरिद्वार में है।
दूसरा मित्र ⦂ मैं जानता हूँ और यह सबसे अधिकतम गहराई वाली नदी भारत में पवित्र नदी भी मानी जाती है तथा इसकी उपासना माँ तथा देवी के रूप में की जाती है।
पहला मित्र ⦂ क्या तुम जानते हो गंगा नदी विश्व भर में अपनी शुद्धीकरण क्षमता के कारण जानी जाती है । लम्बे समय से प्रचलित इसकी शुद्धीकरण की मान्यता का वैज्ञानिक आधार भी है।
दूसरा मित्र ⦂ हाँ मित्र, मेरे पिता जी नें मुझे बताया है कि वैज्ञानिक मानते हैं कि इस नदी के जल में बैक्टीरियोफेज नामक विषाणु होते हैं, जो जीवाणुओं व अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीवों को जीवित नहीं रहने देते हैं।
पहला मित्र ⦂ हाँ मित्र मैंने एक किताब में पढ़ा है कि गंगा नदी के जल में प्राणवायु (ऑक्सीजन) की मात्रा को बनाए रखने की असाधारण क्षमता है, किन्तु इसका कारण अभी तक अज्ञात है।
दूसरा मित्र ⦂ मित्र, लेकिन गंगा के तट पर बसे औद्योगिक नगरों के नालों की गंदगी सीधे गंगा नदी में मिलने से प्रदूषण पिछले कई सालों से भारत सरकार और जनता के चिन्ता का विषय बना हुआ है।
पहला मित्र ⦂ हाँ मित्र, तुम सच कह रहे हो औद्योगिक कचरे के साथ-साथ प्लास्टिक कचरे की बहुतायत ने गंगा जल को बेहद प्रदूषित किया है।
दूसरा मित्र ⦂ सच कह रहे हो , अब तो गंगा का पानी ना तो स्नान करने योग्य है और ना ही पीने योग्य।
पहला मित्र ⦂ मित्र वैसे तो गंगा को राष्ट्रीय धरोहर भी घोषित कर दिया गया है और गंगा एक्शन प्लान व राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना लागू की गई हैं। हालाँकि इसकी सफलता पर प्रश्न चिह्न भी लगाये जाते रहे हैं।
पहला मित्र ⦂ सरकारी लालफीताशाही के कारण सारी योजनायें सफल नही हो पाती और कागज पर रह जाती हैं।
दूसरा मित्र ⦂ हाँ सही है।
पहला मित्र ⦂ पता नहीं हमारी गंगा कब तक साफ होगी।
दूसरा मित्र ⦂ मित्र वैसे तो प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गंगा नदी में प्रदूषण पर नियन्त्रण करने और इसकी सफाई का अभियान चलाया ।
पहला मित्र ⦂ क्या तुम जानते हो कि भारत में 2020 के लॉक डाउन होने का कारण गंगा के किनारे सभी फैक्टरी बंद रही थीं, जिस कारण उनका गंदा पानी गंगा में नहीं गया और गंगा का जल बहुत अधिक साफ हुआ था। पिछले दस वर्षों में पहली बार हर की पोड़ी में गंगा का पानी पीने के लायक बताया गया था।
दूसरा मित्र ⦂ हाँ मित्र, पर अब हमें इसे गंदा न होने देना होगा।
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