संवाद लेखन
12वीं की परीक्षा के बाद पढ़ाई से संबंध में पिता-पुत्र का संवाद
पुत्र ⦂ (घर के अंदर प्रवेश करते ही) मेरे इम्तिहान आज खत्म हो गए, अब मैं बहुत मजे करूंगा।
पिता ⦂ वह तो ठीक है बेटा, लेकिन यह तो बताओ, पेपर कैसे गए ?
पुत्र ⦂ बहुत अच्छे पिता जी, मुझे आशा है इस बार मेरे बहुत अच्छे अंक आएंगे।
पिता ⦂ बहुत बढ़िया बेटा, लेकिन आगे के बारे में भी कुछ सोचा है क्या
पुत्र ⦂ (बड़ी हैरानी के साथ) आगे के बारे में, मैं समझा नहीं पिता जी।
पिता ⦂ बेटा, मेरा मतलब कि 12वीं के बाद क्या करने का सोचा है ?
पुत्र ⦂ पिता जी मैं सोच रहा हूँ मैं अब इंजीनियरिंग की पढ़ाई करूँ।
पिता ⦂ वो तो ठीक है, लेकिन मेरा और तुम्हारी माँ का सपना तुम्हें डॉक्टर बनाने का है।
पुत्र ⦂ मैं आपके सपने की कदर करता हूँ लेकिन पिताजी डॉक्टर की पढ़ाई करने में बहुत पैसा लगता है और मेरा झुकाव इंजीनियरिंग की तरफ है ।
पिता ⦂ बेटा, तुम पैसे की चिंता क्यों करते हो, मैं अपनी सारी जमा पूंजी तुम्हारी डॉक्टर की पढ़ाई के लिए लगा दूंगा।
पुत्र ⦂ वही तो डर है पिताजी ।
पिता ⦂ वह क्यों बेटा ?
पुत्र ⦂ पिताजी, मैं जानता हूँ आप मेरी पढ़ाई का सारा खर्च उठा लोगे, लेकिन अगर पैसा लगा कर भी मैं डॉक्टर नहीं बन पाया तो सोचा है क्या होगा।
पिता ⦂ ऐसा क्यों बोल रहे हो बेटा ?
पुत्र ⦂ क्योंकि पिताजी, मैं नहीं चाहता कि जिसमें मेरी रुचि नहीं है, उस पर आप इतना पैसा लगाएँ क्योंकि आपने यह पैसा कड़ी मेहनत करके कमाया है और मैं इसे ऐसे बर्बाद नहीं कर सकता ।
पिता ⦂ बेटा, लेकिन तुम्हें क्यों लगता है कि तुम डॉक्टर नहीं बन सकते।
पुत्र ⦂ पिता जी, मैं यह नहीं कहता कि मैं डॉक्टर बन नहीं सकता लेकिन मैं जनता हूँ मैं डॉक्टर की पढ़ाई इतनी रुचि से नहीं करूंगा जितनी रुचि से इंजीनियरिंग की और अगर इंजीनियरिंग नहीं भी बन सका तो और कई विकल्प मेरे पास होंगे लेकिन अगर पढ़ाई के बाद डॉक्टर नहीं बन पाया तो फिर सब कुछ खत्म हो जाएगा।
पिता ⦂ तुम्हारा भाई भी डॉक्टर नहीं बनना चाहता था और अब तुम भी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।
पुत्र ⦂ भैया ने सही किया पिताजी क्योंकि वह शुरू से एक आर्किटैक्ट बनाना चाहते थे और इसीलिए वही पढ़ाई कर वह आज बुलंदियों को छू रहे हैं और उन्होंने ही कहा था कि जिस क्षेत्र में तुम्हारी रुचि हो वही करना, भावनाओं में बहकर हम अकसर अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं ।
पिता ⦂ मैं समझ गया बेटा, मैं भी कहाँ तुम्हें जबरदस्ती डॉक्टर की पढ़ाई करने को कह रहा था, तुम ठीक कह रहो हो, तुम जो करना चाहते हो, वही करना।
पुत्र ⦂ पिता जी, आप मुझसे नाराज़ तो नहीं हो?
पिता ⦂ नहीं बेटा, मुझे तुम पर गर्व है बेटा । तुमने तो आज मेरी आँखें खोल दी, अकसर परिवार वाले अपने बच्चों पर दबाई बनाकर उनसे अपनी मर्जी का भविष्य चुनने पर मजबूर करते हैं और इसी कारण उनके बच्चे अपने लक्ष्य को कभी साध ही नहीं पाते ।
पुत्र ⦂ धन्यवाद पिता जी, बस आपका आशीर्वाद सदा बना रहे ।