निबंध
साक्षरता अभियान
प्रस्तावना
साक्षरता का अर्थ होता है शिक्षा की प्राप्ति । बिना शिक्षा के जीवन अंधकार के समान हो जाता हैं । जबकि एक शिक्षित व्यक्ति का जीवन ज्ञान के उजाले से हमेशा प्रकाशवान रहता हैं। वह न केवल अपने जीवन में तमाम सुख पा सकता हैं बल्कि सब के जीवन में भी खुशियाँ व आनन्द ला सकता हैं । निरक्षरता एक दुर्गुण बन गया है । इसलिए आजकल हर कोई पढ़ना-लिखना चाहता है । सरकार तथा समाज की ओर से देश के हर नागरिक को साक्षर बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं । इसके लिए सभी स्थानों पर स्कूल खोले गए हैं । हर बालक को साक्षर बनाने के लिए अभियान चलाए गए हैं । इस नेक कार्य में जनता की भागीदारी आवश्यक है । इक्कीसवीं सदी में यदि भारत का हर नागरिक साक्षर हो जाए तो यह हमारी महान उपलब्धि होगी ।
साक्षरता के इस अभियान की शुरुआत
साक्षरता के इस अभियान की शुरुआत 1966 में यूनेस्को द्वारा शुरू की गई, हर साल 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस मनाना इसी अभियान का हिस्सा हैं । विश्व का प्रत्येक नागरिक अच्छी एवं गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा प्राप्त करें तथा अपने पैरो पर खड़ा हो सके व कोई भी इस मिशन से न छुट जाए इस हेतु साक्षरता आन्दोलन सभी देशों में जोरों से आगे बढ़ाया जा रहा हैं। हालांकि यूनेस्कों के साक्षरता अभियान अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पाया हैं । मिशन के लक्ष्यों में प्रमुखता से इस बात पर ध्यान दिया गया कि वर्ष 1990 तक दुनिया के हर इंसान तक शिक्षा उनके द्वार पहुँच सके।
भारत में प्रत्येक नागरिक को बेसिक शिक्षा का मौलिक अधिकार दिया गया हैं । साक्षरता के इस अभियान से वे जुड़कर अपने जीवन के सारे सपने साकार कर सफल इंसान बन सकता हैं। जीवन के किसी भी क्षेत्र में मुकाम पाने के लिए जितनी जरूरत मेहनत की होती हैं उतनी ही आवश्यकता ज्ञान की भी हैं । यही वजह है कि जीवन में साक्षरता के महत्व को देखते हुए जन-जन तक साक्षरता अभियान के जरिए सब की शिक्षा तक पहुंच सुलभ की जाती हैं। मगर यदि हम भारत की बात करें तो यहाँ कि पुरुष साक्षरता 74 % तथा महिला साक्षरता बिहार तथा राजस्थान जैसे राज्यों में 50 फीसदी तक ही हैं |
साक्षरता अभियान के शुरुआती चरण
साक्षरता अभियान के शुरुआती चरणों में उन देशों को चुना गया जहाँ का अधिकतर वर्ग शिक्षा से अछूता रहा हैं । कई वर्षों तक उपनिवेशवाद का शिकार रहे तीसरी दुनियां के देश प्रमुखतया थे जिनमें भारत भी एक था। 1995 के दौर में शुरू हुए आंदोलन के जरिए भारत में शिक्षा का खूब प्रसार प्रचार हुआ । सरकार तथा यूनेस्कों के सहयोग से सर्व शिक्षा अभियान प्रौढ़ शिक्षा अभियान, मिड डे मील योजना और राजीव गांधी साक्षरता मिशन मुख्य योजनाएं थी । साक्षरता अभियान बड़े जोर से दशकों तक चला, जिसका असर आज भी देखा जा रहा हैं । गाँवों के गरीब परिवारों के बच्चें भी आज शहरों में जाकर उच्च शिक्षा तथा तकनीक शिक्षा प्राप्त कर नए प्रतिमानों को स्थापित कर रहे हैं । खासकर बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओ जैसे अभियानों से शिक्षा का केंद्र बेटी व महिला शक्ति को बनाकर समाज में शिक्षा क्रांति तेजी से आगे बढ़ रही हैं।
साक्षरता अभियान का स्वरूप
स्वतंत्रता मिलने के बाद साक्षरता का प्रतिशत बढ़ाने के लिए सबसे पहले बुनियादी शिक्षा प्रारम्भ की गई | इसके बाद सारे देश में प्रौढ़ शिक्षा का कार्यक्रम राष्ट्रीय नीति के रूप में प्रारम्भ किया गया । इसके लिए प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी नियुक्त किये गये और बेरोजगार शिक्षित युवक, सेनानिवृत कर्मचारी एवं समाज सेवक लोग इस कार्य में लगाए गए । साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में जगह-जगह पाठशालाएं खोली गई और जनजातियों हरिजनों तथा कृषक श्रमिकों को साक्षर बनाने का पूरा प्रयास किया गया । इस तरह के अभियान से निरक्षरता कम होने लगी और साक्षरता का प्रतिशत बढ़ रहा हैं । अब प्रत्येक नागरिक शिक्षा का महत्व समझने लगा हैं।
साक्षरता अभियान से लाभ
इस अभियान से जन जागरण हुआ हैं । राजस्थान में निरक्षरता का प्रतिशत पहले अधिक था, परन्तु अब साक्षरता का प्रतिशत काफी बढ़ गया हैं । छोटे गाँवों और ढाणियों में हजारों विद्यालय राजीव गांधी पाठशाला के नाम से खोले गये हैं । उनमें निम्न वर्ग व गरीब लोगों के बच्चों को दिन में भोजन दिया जाता हैं । रात्रि में प्रौढ़ शिक्षा केंद्र चलाए जा रहे हैं, जिनसे बूढ़े लोग भी साक्षर बन रहे है। सरकार ने माध्यमिक स्तर तक निशुल्क शिक्षा देने की व्यवस्था की हैं। इससे भी साक्षरता अभियान काफी सफल हो रहा हैं ।
उपसंहार
साक्षरता का अर्थ चंद किताबी ज्ञान नहीं हैं बल्कि व्यक्ति को सही गलत उनके अधिकारों कर्तव्यों अपने इतिहास भूगोल की सामान्य जानकारी हैं । गरीबी , लिंग अनुपात सुधारने , भ्रष्टाचार और आतंकवाद जैसी समस्याओं का मूल कारण ही साक्षरता का अभाव हैं। भारत की साक्षरता दर में सुधार के साथ ही विकास के उच्च लक्ष्यों की प्राप्ति तथा सामाजिक समस्याओं की समाप्ति भी साक्षरता के प्रचार से ही संभव हैं। साक्षरता अभियान में धन की कमी एक बड़ी बाधा हैं, फिर भी शिक्षित बेरोजगार युवकों के सहयोग से यह योजना चल रही हैं। जन सहयोग से प्रौढ़ शिक्षा का प्रसार हो रहा हैं। निरक्षरता हमारे समाज पर एक काला दाग हैं उसे साक्षरता अभियान से ही मिटाया जा सकता हैं।