निबंध
वर्तमान समय में विद्यार्थी की स्थिति
विद्यार्थी शब्द की रचना ‘विद्या’ और ‘अर्थी’ से हुई है। इसका अर्थ है विद्या की इच्छा रखने वाला। यूँ तो व्यक्ति सारा जीवन कुछ–न-कुछ सीखता ही रहता है। सारी आयु उसका अध्ययन चलता ही रहता है, परंतु बाल्यकाल ही विद्याध्ययन का उचित समय है। इस अवस्था में विद्यार्थी संसार की सभी चिंताओं से मुक्त हो पूरा समय पढ़ाई में व्यतीत कर सकता है।
विद्यार्थी परिश्रमी, अनुशासन प्रिय, सत्यनिष्ठ, परोपकारी तथा उच्च चरित्र वाला होता है। वह परिश्रम के महत्व को जानता है। इस दुनिया में जितने भी महापुरूष, नेता, एवं संत प्रसिद्ध हुए हैं, वे सब परिश्रम के बल पर ही खरे उतरे हैं। लेकिन वर्तमान समय में विद्यार्थी की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। वर्तमान समय में फैशन नें भी विद्यार्थी की स्थिति खराब कर दी है। फैशन के प्रति झुकाव स्वभाविक है और यह कोई बुरा भी नहीं है लेकिन एक सीमा तक ही ठीक है। उसके आगे फैशन हानिकारक हो जाता है क्योंकि ये विद्यार्थी के शैक्षणिक जीवन को प्रभावित करता है। लेकिन विद्यार्थी फैशन के चंगुल में फस कर अपनी संस्कृति का अपमान करते है, और पश्चिमी दुनिया की दौड़ में शामिल हो रहे हैं।
वर्तमान समय में विद्यार्थी की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है और इसका सबसे बड़ा कारण है, अनुशासनहीनता। अनुशासनहीनता के कई कारण है जैसे व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षिक अनेक कारण है। वर्तमान शिक्षा-पद्धति के कारण भी आज के समय में विद्यार्थी की स्थिति खराब हुई है। छात्रों की रूचियों पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है, केवल परीक्षाओं पर ही ध्यान दिया जाता है।
चरित्र निर्माण और नैतिक शिक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। छात्र की प्रतिभा का माप केवल प्राप्तांक ही माने जाते हैं। इस कारण परिश्रमी एवं प्रबुद्ध छात्रों में असंतोष फैल रहा है|। भाई भतीजेवाद के कारण तथा सगे संबंधियों की सहायता से कमज़ोर छात्र अच्छी शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश पा जाते हैं, जबकि मेधावी छात्र सिफारिश ना होने के कारण पिछड़ जाते हैं। अगर वर्तमान समय में विद्यार्थी की स्थिति पर ध्यान न दिया गया तो यह हमारे देश के भविष्य के लिए बहुत बड़ा खतरा साबित हो सकता है।
Related questions
लोकतंत्र में चुनाव का महत्व (निबंध)