विचार लेखन
पाला हुआ प्राणी लापता हो गया
मैं जब दसवीं कक्षा में थी, तब मुझे मेरे पिता जी ने मुझे एक प्यारा सा कुत्ते का बच्चा उपहार में दिया था। पहले तो मुझे वह पसंद नही था। मुझे डर लगता था , बहुत छोटा सा था। धीरे-धीरे मुझे उससे प्यार होने लगा। मैं उसका बहुत ध्यान रखती थी। स्कूल के जाने पहले और आने के बाद उसके साथ खेलना। मैंने उसका नाम ‘ब्लुई’ रखा था।
उसकी आँखे नीले रंग की थीं और बहुत सुंदर थीं। वह मेरे साथ मेरे कमरे में रहता था। वह मेरा इंतजार करता था। मेरे बिना वह खाना भी नहीं खाता था। उसके बिना मेरा मन एक मिनट के लिए नहीं लगता था।
वो दिन जो मेरे जीवन का सबसे बुरा दिन था। मैं ब्लुई को लेकर पार्क में गई। हम खेल रहे थे। जब मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो ब्लुई नहीं था। ब्लुई को कोई अगवा करके ले गया था। ब्लुई लापता हो गया था। मैंने उसे सब जगह खोजा। सबसे पूछा, उसका कुछ पता नहीं चला। वो अचानक से कहाँ गायब हो गया समझ नहीं आ रहा था।
मुझे बहुत दुःख हुआ। ऐसे लगा मेरे जीवन से प्यारा हिस्सा चला गया। जिसके बिना मैं नहीं रह सकती। ब्लुई के लापता होने के बाद मेरा जीवन एक दम निराश भरा हो गया। मुझे दिन-रात उसकी याद आती थी। मैंने जगह-जगह उसकी तस्वीर की फोटो लगवाई। किसी को मिले तो हमें वापिस कर दे।
बहुत दिन दिन बीत गए, उसका कोई पता नहीं चला। आज भी हम सभी उसके बिना जीवन बहुत दुखी से व्यतीत कर रहे है। हमें उसकी बहुत याद आती है। वह मेरे परिवार में हम सबके जीवन का हिस्सा था। वह सबका मन लगाए रखता था।
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