अनौपचारिक पत्र
माताजी की बीमारी के संबंध में मित्र को पत्र
दिनांक : 04 अप्रेल 2024
प्रेषक : भरत सैनी, 213,
सैनिक विहार, दिल्ली – 110034
प्राप्तकर्ता : दीपांशु नरवाल,
रोहतक, हरियाणा
प्रिय मित्र दीपांशु,
सदा खुश रहो,
कल तुम्हारा पत्र प्राप्त हुआ। पत्र से मुझे यह पता चला कि तुम्हारी माता जी का स्वास्थ नहीं अच्छा नहीं है। इस कारण तुम मानसिक रूप से बेहद परेशान भी हो। तुम्हारे पत्र से तुम्हारी परेशानी स्पष्ट रूप से झलक रही थी।
मित्र, मैं तुम्हारी मनःस्थिति को समझ सकता हूँ। माँ की तबीयत खराब होने पर पुत्र की कैसी मनोःस्थिति होती है, ये तुम से बेहतर कोई नहीं जान सकता। मित्र, इस समय हिम्मत हारने का समय नहीं है। तुम्हें अपनी माताजी की देखभाल करनी है। अच्छे से देखभाल करनी है ताकि वह शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ हो जाएं। यदि तुम निराशा का भाव अपनाओगे और चिंताग्रस्त रहोगे तो तुम अपनी माताजी की देखभाल अच्छी तरह नहीं कर पाओगे और इससे ना केवल तुम्हारे माताजी के स्वस्थ होने में देर होगी बल्कि वे भी तुम्हे परेशान देखकर चिंतित होंगी इससे उनके स्वस्थ में देर हो सकती है।
इसलिए मेरा तुम से अनुरोध है कि तुम स्वयं को संभालो और स्वयं को मानसिक रूप से मजबूत करो। जीवन में सुख-दुख आते ही रहते हैं। हमें दुखों का चिंतापूर्वक सामना करना चाहिए।
यह कठिन घड़ी है, तुम स्वयं को संभाल कर अपनी खूब देखभाल और सेवा करो और यह प्रयास करो कि शीघ्र से शीघ्र स्वस्थ हो जाएं। अधीर होने से तुम्हारी समस्या का हल नहीं निकलेगा बल्कि समस्या बढ़ती ही जाएगी इसीलिए तुम्हें धीरज धारण करना होगा।
आशा है, तुम मेरी बात समझोगे और स्वयं को संभाल कर संकट की घड़ी का सामना दृढ़ता और धीरज से सामना करोगे।
मैं तुम्हारी माताजी के शीघ्र स्वस्थ होने की ईश्वर से कामना करता हूँ। तुम्हारे संकट की घड़ी में मैं पूरी तरह तुम्हारे साथ हूँ। जब भी आवश्यकता पड़े तो मुझे याद कर लेना।
तुम्हारा मित्र,
भरत सैनी