सरकारी चिकित्सालय में सुविधाएं के अभाव तथा कर्मचारियों के असंवेदनशील व्यवहार की शिकायत करते मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र लिखें।

औपचारिक पत्र

सरकारी चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पत्र

दिनाँक : 4 मार्च 2024

 

सेवा में,
मुख्य चिकित्सा अधिकारी,
सरकारी क्षेत्रीय अस्पताल,
शिमला-171001 (हिमाचल प्रदेश)

विषय: अस्पताल में उचित सुविधाओं के अभाव बाबत

महोदय,

पूरे सम्मान के साथ मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ कि दिनांक 3 मार्च 2024 को मेरी माता जी को उनकी स्वास्थ्य जांच हेतु सरकारी क्षेत्रीय अस्पताल, शिमला में लाया गया था और जांच के बाद चिकित्सक ने मेरी माता जी को अस्पताल में भर्ती करने के लिए कहा और उसी अस्पताल के कनिष्ठ चिकित्सक डॉ. नीलांबर को मेरी माता जी को भर्ती करने के लिए और उनका ईलाज करने की ज़िम्मेदारी दी गयी थी।

डॉ. नीलांबर ने मुझे शाम 4.00 बजे महिला चिकित्सा वार्ड में माता जी भर्ती करने के लिए बुलाया और हम 4.00 बजे वहाँ पहुँच गए थे लेकिन वहाँ पहुँचने पर डॉ. नीलांबर ने हमें कहा कि अभी कोई भी बेड खाली नहीं है और आप 8.00 बजे तक इंतज़ार करें।

8.00 बजे जब हमने फिर भर्ती के लिए कहा तो डॉ. नीलांबर गुस्सा हो गए और हमें कहा कि मैं केवल आपकी सेवा के लिए नहीं बैठा हूँ और बेड जब खाली होगा तभी मिलेगा और फिर हमें यह कहकर बाहर भेज दिया कि रात 12.00 बजे तक रुकिए तब बेड मिलेगा।

महोदय, मेरी माता जी एक वृद्ध महिला हैं और हड्डियों की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, लेकिन उन्हें इस कारण 8 घंटे बाहर फर्श पर ही बैठना पड़ा। अंततः सुबह 3.00 बजे मेरी माता जी को अस्पताल में भर्ती किया गया और फिर डॉ. नीलांबर ने हमें एक टेस्ट लिख कर दिया और कहा कि आप इस टेस्ट को बाहर से करवा के लाएँ जबकि वो टेस्ट अस्पताल में हो सकता था | लेकिन जब मैंने इस बारे में डॉ. नीलांबर से कहा तो वो भड़क गए और कहा कि टेस्ट तो बाहर से ही करवाना पड़ेगा. अन्यथा आप अपनी माता जी ईलाज यहाँ नहीं करवा पाओगे।

श्रीमान जी, अपनी वृद्ध माता जी को लेकर में 12 किलोमीटर किसी निजी संस्था से टेस्ट करवा के लाया और उसके बाद डॉक्टर साहब ने 6 टेस्ट और करवा कर लाने के लिए कहा और कहा कि अस्पताल में यह टेस्ट करने की मशीन खराब है, इसलिए यह टेस्ट भी आपको बाहर से ही करवाने होंगे।

मैं एक निम्न वर्ग के परिवार से संबंध रखता हूँ और मेरी तो इतनी आय भी नहीं कि मैं अपनी माता जी इलाज कहीं निजी अस्पताल से करवा सकूँ। आप समझ सकते हैं कि सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के अभाव और अस्पताल कर्मचारियों के ऐसे असंवेदनशील व्यवहार से जाने रोज कितने मेरे जैसे लोग का शोषण होता होगा।

महोदय, आपसे मेरा अनुरोध है कि सरकारी अस्पतालों की बर्बर प्रणाली को दुरुस्त करने के लिए शीघ्र से शीघ्र कोई ठोस कदम उठाने की कृपा करें ताकि मेरे जैसे और लोग इस दयनीय हालत से बच सकें।

सधन्यवाद।

प्रार्थी,
राकेश कुमार
गाँव – अंबोया, तहसील अर्की,
जिला सोलन, हिमाचल प्रदेश |


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