संवाद लेखन
बस्ते का बोझ कम होने के विषय में माँ-बेटी के बीच संवाद
बेटी : (दौड़ कर अंदर आते हुए) माँ, आज मैं बहुत खुश हूँ।
माँ : (बेटी को प्यार करते हुए बोली) वाह, क्या मैं जान सकती हूँ, कि मेरी बिटिया किसी कारण से खुश है।
बेटी : आज मैं बिल्कुल आराम से स्कूल गई। मुझे अपने बस्ते में ज्यादा किताबें ढोकर नहीं ले जानी पड़ीं। नहीं तो पहले बस्ते के बोझ के कारण मेरे कंधे दुखने लगते थे।
माँ : वाह! मेरी बच्ची यह तो बहुत अच्छी बात हुई।
बेटी : हाँ माँ, हमारे सारी पुस्तकों का डिजिटल फॉर्मेट बन गया है। हमें विद्यालय की तरफ से एक ईबुक टैबलेट मिला है, जिसमें हमारे सभी पुस्तकें लोड हैं। अब हमें केवल एक ईबुक टैबलेट लेकर जाने की जरूरत पड़ती है। सभी टेक्स्ट बुक ले जाना अनिवार्य नहीं।
माँ : यह तो बहुत अच्छी बात है बेटी।
बेटी : अब हम केवल अपनी नोटबुक ले जाते हैं, जिनमें हमें नोट लिखने होते हैं। टेक्स्ट बुक की जगह हम ईबुक ले जाते हैं, जिससे हमारे बस्ते का बोझ बेहद कम हो गया है।
माँ : बेटा ईबुक टैब तुम्हे विद्यालय से फ्री मिला है क्या?
बेटी : नही माँ, उसके आधे पैसे देने होंगे। आधे पैसे विद्यालय वहन करेगा। ये देखो डायरी में लिखा है कि अगली फीस के साथ ईबुक के आधे पैसे देने होंगे।
माँ : ठीक है बेटा, मैं तुम्हारे पिताजी को पैसे देने को बोल दूंगी।
बेटी : हाँ, माँ, अभी आपको मैं अपनी नई ईबुक टैबलेट दिखाती हूँ।
माँ : मुझे बड़ी खुशी हो रही है, अब तुम जल्दी से हाथ-मुँह धो लो और खाना खा लो। खाना खाने के बाद आराम से तुम्हारी ई-बुक टैबलेट देखेंगे।
बेटी : ठीक है माँ।