जब माता सती अपने पिता दक्ष का हवन में स्वयं को भस्म करती है, तो उनकी ये दशा देखकर महादेव अर्थात भगवान शिव की आँखों से कुछ आँसू छलककर धरती पर गिर गए। इन्हीं आँसुओं सो रुद्राक्ष के पेड़ की उत्पत्ति हुई। ये आँसू संख्या में 14 थे इसीलिए 14 तरह के रुद्राक्ष पाए जाते हैं।
जब माता सती अपने पिता दक्ष द्वारा आयोजित किए गए यज्ञ (हवन) में भगवान शिव को न बुलाए जाने के कारण क्रोधित और दुखी जो जाती हैं। अपने पिता दक्ष द्वारा भगवान शिव के इस अपमान ने दुखी होकर वे इसी दुख में उसी हवन कुड में स्वयं को भस्म कर देती हैं और अपना जीवन समाप्त कर लेती हैं। तब भगवान शिव वहाँ आते हैं और उनके जले हुए शरीर को हवन कुंड से बाहर निकाल कर ब्रह्मांड की परिक्रमा करने लगते हैं। माता सती की यह हालत देखकर भगवान शिव की आँखों से कुछ आँसू छलक कर धरती पर गिर जाते हैं और वही आँसुओं से रुद्राक्ष का पेड़ का जन्म होता है।
भगवान शिव के आँख से कितने आँसू गिरे थे, इस बारे में स्पष्ट प्रमाण नहीं है, लेकिन माना जा सकता है कि उनके आँख से लगभग 14 आँसू गिरे थे। इसीलिए 14 प्रकार के रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई। इसी कारण 14 तरह के रुद्राक्ष तक पाए जाते हैं। एक मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का सबसे प्रिय रुद्राक्ष माना जाता है और यह सबसे बहुमूल्य रुद्राक्ष होता है। उसके अतिरिक्त दो मुखी रुद्राक्ष, तीन मुखी रुद्राक्ष, चार मुखी रुद्राक्ष, पंचमुखी रुद्राक्ष, षष्ठ मुखी रुद्राक्ष, सप्त मुखी रुद्राक्ष, अष्ट मुखी रुद्राक्ष, नवमुखी रुद्राक्ष, दशमुखी रुद्राक्ष, ग्यारहमुखी रुद्राक्ष, बारह मुखी रुद्राक्ष, तेरह मुखी रुद्राक्ष, चौदह मुखी रुद्राक्ष होते हैं। इस तरह भगवान शिव के 14 आँसुओं से इन 14 मुखी रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई, हालांकि रुद्राक्ष 21 मुखी भी माने जाते हैं, लेकिन सामान्यतः 14 तरह के रुद्राक्ष ही पाए जाते हैं।
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