झरने और नदी में क्या अंतर है?

झरने और नदी में मुख्य अंतर यह होता है कि झरना ऊँचाई से गिरने वाली एक जलधारा है, जिसकी धारा बेहद सीमित होती है, जबकि नदी एक बहती हुई लंबी जल धारा होती है, जिसका आकार छोटे से बड़ा कितना भी हो सकता है।

झरना केवल एक छोटे क्षेत्र तक सीमित रहता है, जबकि नदी का दायरा बेहद बड़ा होता है। वह अपने उद्गम स्थल से बहती हुई समुद्र तक की यात्रा करती है। उद्गम स्थल से समुद्र तक की ये दूरी कुछ किलोमीटर से लेकर, सैकड़ों किलोमीटर अथवा हजार किलोमीटर से ज्यादा भी हो सकती है। जबकि झरना की लंबाई या ऊँचाई केवल कुछ मीटर की होती है। झरना किसी पर्वत के ऊपरी शिखर से नीचे गिरने वाली जलधारा है। यही जलधारा जब मैदानी क्षेत्र में बहती हुई जाती है, तो वह नदी बन जाती है।

झरना नदी का ही एक एक भाग होता है। नदी जब ऊँचाई से नीचे गिरती है, तो वह एक या कई झरनों का रूप धारण कर लेती है और आगे समतल मैदान में वह पानी नदी बन जाता है, इसलिए झरने और नदी का आपस में गहरा संबंध भी है।

झरने को जलप्रपात भी कहा जाता है। झरने का पानी निरंतर ऊँचाई से नीचे की ओर गिरता रहता है। उसका पानी बहुत स्वच्छ होता है। ऊँचाई से गिरने के कारण पानी की गति तेज होती है। नदी का पानी भी निरंतर आगे की और बहता रहता है, लेकिन उसकी गति बेहद सामान्य या धीमी होती है।

झरने केवल पहाड़ी क्षेत्रों तक ही सीमित होते हैं, जबकि नदी का बहाव क्षेत्र पहाड़ी और समतल मैदानी क्षेत्रों सब जगह होता है।


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