पुनरावर्तक यानी रिपीटर्स की आवश्यकता संचार में इसलिए पड़ी, क्योंकि हर प्रकार के संचरण माध्यम में जैसे-जैसे दूरी बढ़ती जाती है, वैसे वैसे ही संचार के संकेत यानी सिग्नल कमजोर होते जाते हैं। तब संकेतों को मजबूत बनाने की आवश्यकता पड़ती है ताकि वह प्राप्तकर्ता तक स्पष्ट पहुँच सकें। इसलिए इन संकेतों को मजबूत बनाने के लिए पुनारवर्तक यानि रिपीटर्स का प्रयोग किया जाता है। पुनरावर्तक यानि रिपीटर्स के माध्यम से संचार संकेत दूरी बढ़ने के साथ-साथ भी मजबूत बने रहते हैं, तथा आसानी एवं स्पष्टता के साथ प्राप्तकर्ता तक पहुंच जाते हैं। इसीलिए पुनरावर्तक की आवश्यकता संचार में पढ़ती है।
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