कौन सा ऐसा जीव है, किसी भी तरह का स्वाद अपनी जीभ से नहीं अपने पैरों से लेता है।

यह जानकारी वाकई बहुत रोचक और कम ज्ञात है। जी हाँ, एक जीव ऐसा भी है, जो खाने का स्वाद जीभ से नहीं बल्कि पैरों से लेता है।

और वह जीव ‘तितली’ है।

जी हाँ, हमारे आस-पास बाग-बगीचों में मंडराने वाली सुंदर रंग-बिंरंगी तितलियां फूलों के रस का स्वाद अपनी जीभ से नहीं अपने पैरों से लेती हैं।

तितलियाँ प्रकृति के सबसे सुंदर और रहस्यमयी जीवों में से एक हैं। उनके रंग-बिरंगे पंख और मनमोहक उड़ान हमेशा से लोगों को आकर्षित करती रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन खूबसूरत प्राणियों के पास एक और अनोखी क्षमता है?

आश्चर्यजनक रूप से, तितलियाँ अपने स्वाद का अनुभव जीभ की बजाय अपने पैरों से लेती हैं। उनके पैरों में विशेष स्वाद कलिकाएँ होती हैं, जो उन्हें विभिन्न पदार्थों के स्वाद को पहचानने में मदद करती हैं।

कैसे काम करता है यह तंत्र?:

तितलियों के पैरों में सूक्ष्म रोएँ होते हैं, जिन्हें ‘टार्सी’ कहा जाता है। ये टार्सी रासायनिक संवेदनशील होते हैं और जब तितली किसी सतह पर बैठती है, तो ये रोएँ उस सतह के रासायनिक संघटन को पहचान लेते हैं।

तितलियों का ये विशेष गुण

यह अनूठी क्षमता तितलियों को भोजन की तलाश में मदद करती है। वे फूलों और फलों पर बैठकर उनके मीठेपन का अंदाजा लगा लेती हैं, जो उन्हें उपयुक्त पोषण प्राप्त करने में सहायक होता है।

मानव विज्ञान के लिए प्रेरणा

तितलियों की इस अद्भुत क्षमता से प्रेरित होकर, वैज्ञानिक नए प्रकार के स्वाद और गंध सेंसर विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। ये सेंसर भविष्य में खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण निगरानी और चिकित्सा क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं।


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