संवाद लेखन
योग कक्षा पर पिता और पुत्री के बीच संवाद
पुत्री : पिता जी, मैं आपसे कुछ ज़रूरी बात करना चाहती हूँ। मैं एक सलाह लेना चाहती हूँ।
पिता : हाँ-हाँ! बोलो बेटा, किस बारे में सलाह चाहती हो।
पुत्री : पिता जी, हमारी गर्मी की छुट्टियाँ शुरू होने वाली है और मैं चाहती हूँ कि मैं इन छुट्टियों का सदुपयोग करूँ।
पिता : (पुत्री की तरफ खुशी से देखते हुए ) बिल्कुल सही कहा बेटा, समय का सदुपयोग करना चाहिए। क्या तुमने कुछ सोचा है कि तुम्हें क्या करना है?
पुत्री : जी पिता जी, मैंने सोचा है कि मैं योग कक्षाएँ ज्वाइन कर लेती हूँ।
पिता : (हैरानी से) योग कक्षाएँ! वो क्यूँ?
पुत्री : पिता जी, आजकल गर्मी बहुत हो रही है। ऐसे में लोग घरों से बाहर नहीं जा पाते है। शारीरिक गतिविधियाँ कम हो जाती हैं और बैठे-बैठे कई तरह की बीमारियाँ लग जाती हैं। अगर इन बीमारियों से अपने-आप को बचना है तो योग से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
पिता : (चिंता करते हुए) सही कहा तुमने, लेकिन मैं तुम्हारी इस बात से पूरी तरह से सहमत हूँ। पर तुम यह सब करोगी कैसे? इतनी गर्मी में बाहर कैसे जाओगी?
पुत्री : (समझाते हुए) पिताजी आप चिंतित न हों, क्यूंकि मुझे कहीं भी बाहर जाने की ज़रूरत नहीं है। क्यूंकि मैं ऑनलाइन (online) क्लास लूँगी। मेरी सेहत के लिए भी अच्छा है।
पिता : ठीक बेटा, तुमने बहुत अच्छा सोचा है। कब से ज्वाइन करने वाली हो योग कक्षाएं?
पुत्री : पिताजी, मैं आज शाम को फार्म भर दूंगी और कल से ही क्लास ज्वाइन कर लूंगी।
पिता : ठीक है बेटा।