कौन से नेता ने किसी लोकसभा चुनाव में एक ही समय में तीन सीटों पर चुनाव लड़ा? कोई व्यक्ति अधिकतम कितनी सीटों पर चुनाव लड़ सकता है?

एक ही लोकसभा चुनाव में दो सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ने के अवसर कई बार आए हैं। विभिन्न पार्टियों के नेता लोग अक्सर दो-दो सीटों पर चुनावों लड़ते रहे हैं, चाहे वह लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा चुनाव हों, ऐसा होता रहा है। भारत का संविधान भी किसी भी प्रत्याशी को दो सीटों पर चुनाव लड़ने का अधिकार देता है।

भारत के संविधान के लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सेक्शन 33 के अंतर्गत किसी व्यक्ति को एक से अधिक जगह से चुनाव लड़ने का अधिकार मिला हुआ है। इसी अधिनियम के सेक्शन 70 में ये भी उल्लेखित है कि कोई व्यक्ति लोकसभा अथवा विधानसभा का चुनाव एक से अधिक सीटों पर लड़ तो सकता है, लेकिन एक से अधिक सीटों पर चुनाव जीतने की स्थिति में उसे प्रतिनिधित्व केवल एक ही सीट का करना होगा और बाकी सीटों से इस्तीफा देना होगा।

1996 तक भारतीय संविधान में अधिकतम सीटों की कोई सीमा तय नहीं थी। एक व्यक्ति दो से अधिक सीटों पर भी चुनाव लड़ सकता था, लेकिन 1996 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया और अधिकतम दो सीटों की सीमा तय की गई यानी कोई भी व्यक्ति लोकसभा अथवा विधानसभा का चुनाव अधिकतम दो सीटों पर ही लड़ सकता है। दोनों सीटों पर जीतने की स्थिति में उसे एक सीट से त्यागपत्र देना होगा।

अब बात करते हैं कि कौन से नेता हैं, जिन्होंने दो से अधिक सीटों पर भी चुनाव लड़ा। सभी को पता है कि दो से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के अनेक मामले हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव में बड़ौदा और वाराणसी की लोकसभा सीटों से चुनाव लड़े थे। उससे पूर्व लालकृष्ण आडवाणी 1989 में नई दिल्ली और गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे। सोनिया गांधी भी रायबरेली और बेल्लारी लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ चुकी हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी रायबरेली और वायनाड सीट से चुनाव लड़े। 2014 में भी वह अमेठी और वायला़ से चुनाव लड़े थे।

इसी तरह राज्यों की विधानसभा सीटों पर कई नेता भी दो सीटों पर चुनाव लड़े हैं। इस तरह दो सीटों पर चुनाव लड़ने के अनेक मामले हैं, लेकिन दो से अधिक यानी तीन सीटों पर चुनाव लड़ने का लोकसभा चुनाव के संदर्भ में केवल एक ही मामला है।

लोकसभा चुनाव में एक ही समय  में तीन सीटों पर चुनाव लड़ने वाले नेता भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई हैं, जो 1957 के लोकसभा चुनाव में तीन लोकसभा सीटों से चुनाव लड़े थे। 

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई तीन सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़े थे। अटल बिहारी वाजपेई ने 1957 के आम लोकसभा चुनाव में तीन सीटों से चुनाव लड़ा था। वह उस समय जनसंघ में थे और जनसंघ के टिकट पर लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर सीट से चुनाव लड़े थे। वह लखनऊ और मथुरा दोनों लोकसभा सीट से चुनाव हार गए लेकिन बलरामपुर सीट से चुनाव जीत गए।

लोकसभा चुनाव के संदर्भ में यह इकलौता मामला है, जब किसी नेता ने तीन सीटों पर एक ही समय में चुनाव लड़ा हो।

विधानसभा चुनाव में भी एक मामला ऐसा रहा है, जब आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय तेलुगू देशम पार्टी के संस्थापक नेता एनटी रामा राव 1995 के आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव में गुडीवडा, हिंदूपुर और नालगोंडा तीन विधानसभा सीटों से चुनाव लड़े और तीनों सीटों पर जीते। उन्होंने हिंदूपुर सीट को बरकरार रखा और बाकी दोनों सीटों से त्यागपत्र दे दिया।

इस तरह लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यह दो इकलौते मामले हैं, जहाँ पर कोई नेता दो से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा है। फिलहाल अभी ये व्यवस्था खत्म हो चुकी है और कोई भी प्रत्याशी एक समय में अधिकतम दो सीटों पर ही चुनाव लड़ सकता है। हालांकि चुनाव आयोग आने वाले समय में ऐसी व्यवस्था भी कर सकता है कि कोई प्रत्याशी अधिकतम एक ही सीट पर चुनाव लड़े।


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