कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) में क्या अंतर होता है?

भारत की सरकार में मंत्रियों के विभिन्न स्तर होते हैं। कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के मंत्री। मंत्रियों के तीन स्तर हैं तो उनके बीच कुछ अंतर भी होता होगा। मंत्रियों के इन तीनों स्तरों के बीच मुख्य अंतर इस प्रकार हैं..

1. कैबिनेट मंत्री

सरकार में सर्वोच्च स्तर के मंत्री होता है। कैबिनेट मंत्री किसी पूर्ण मंत्रालय या विभाग के प्रभारी होते हैं। वे कैबिनेट बैठकों में भाग लेते हैं और नीतिगत निर्णय लेने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। कैबिनेट मंत्री सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं। कैबिनेट मंत्री को मिलने वाली सारी उच्चतम स्तर की सुविधाएं मिलती हैं।

2. राज्य मंत्री

राज्य मंत्री कैबिनेट मंत्री के अधीन काम करते हैं। आमतौर पर किसी विशिष्ट मंत्रालय या विभाग के एक हिस्से की जिम्मेदारी संभालते हैं। राज्य मंत्री कैबिनेट बैठकों में भाग नहीं लेते, जब तक विशेष रूप से आमंत्रित न किया जाए।
ये अपने सभी कार्यों की रिपोर्ट संबंधित कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं।

3. राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार

स्वतंत्र प्रभार वाले कैबिनेट मंत्री और राज्य मंत्री के बीच की स्थिति है। ये मंत्री किसी मंत्रालय या विभाग के स्वतंत्र प्रभारी होते हैं, लेकिन कैबिनेट का हिस्सा नहीं होते। ये अपने मंत्रालय के लिए स्वतंत्र रूप से निर्णय ले सकते हैं। ये सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं, लेकिन कैबिनेट बैठकों में भाग नहीं लेते।

वेतन और सुविधाएं

कैबिनेट मंत्रियों को आमतौर पर उच्चतम वेतन और सुविधाएं मिलती हैं। राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और राज्य मंत्रियों के वेतन और सुविधाएं कुछ कम होती हैं, लेकिन फिर भी उच्चमत स्तर की सुविधाएं होती हैं।

कैबिनेट मंत्री को हर महीने 1,00,000 रुपए मूल वेतन मिलता है। इसके अलावा उसे 70,000 रुपये अपने निर्वाचन क्षेत्र का भत्ता 60,000 रुपए कार्यालय भत्ता और 2,000 सत्कार भत्ता मिलता है।

राज्य मंत्रियों को 1,000 रुपए प्रतिदिन का भत्ता मिलता है तो उनका वेतन कैबिनेट मंत्री के समान ही होता है। इसके अलावा उन्हें संसद सदस्य की तरह की यात्रा भत्ता, यात्रा सुविधाएं, रेल यात्रा सुविधाएं, स्टीमर पास, आवास, टेलीफोन सुविधाएं और वाहन क्रय हेतु भत्ता मिलता है।

मुख्य अंतर शक्तियों, जिम्मेदारियों और निर्णय लेने की क्षमता में है। कैबिनेट मंत्री सबसे अधिक शक्तिशाली होते हैं, उसके बाद राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार, और फिर राज्य मंत्री आते हैं।


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