सही विकल्प होगा :
A. अदृश्य बेरोजगारी
कृषि क्षेत्र में जो बेरोजगारी पाई जाती है, उसे अदृश्य बेरोजगारी कहते हैं। अदृश्य बेरोजगारी को एक अन्य नाम ‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ से भी जाना जाता है।
विस्तार से समझें :
‘अदृश्य बेरोजगारी’ से तात्पर्य उस बेरोजगारी से होता है, जिसमें कोई श्रमिक कार्य तो कर रहा होता है, लेकिन उस श्रमिक की उस कार्य हेतु कोई बहुत अधिक आवश्यकता नहीं होती यानी उसके बिना भी वह कार्य किया जा सकता है। चूँकि श्रमिक के पास अन्य कोई कार्य नहीं होता है, तो इस कारण में वो उसी कार्य में संलग्न हो जाता है, जो उसके सामने उपलब्ध है। इस कारण उस श्रमिक को उसके श्रम का भरपूर पारिश्रमिक भी नहीं मिलता और ना ही उसकी श्रमिक क्षमता का पूर्ण उपयोग हो पाता है।
इस तरह की बेरोजगारी को अदृश्य बेरोजगारी अथवा छिपी हुई बेरोजगारी अथवा प्रच्छन्न बेरोजगारी कहते हैं। यह बेरोजगारी अधिकतर ग्रामीण क्षेत्रों में पाई जाती है। यह बेरोजगारी कृषि क्षेत्र में आम है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक रोजगार ना होने के कारण एक खेत पर काम करने के लिए जितने अधिक लोगों की आवश्यकता होती है, उससे कहीं अधिक संख्या में लोग उपलब्ध होते हैं। वह सभी लोग एक ही कार्य में लग जाते हैं।
‘प्रच्छन्न बेरोजगारी’ अथवा ‘छुपी हुई बेरोजगारी’ में यह जरूरी नहीं होता कि नियोक्ता कर्मचारी को कोई भुगतान करे ही। कहीं-कहीं पर वह केवल दिखावे के लिए कर्मचारी की नियुक्ति तो कर देता है लेकिन उसे कोई भुगतान नहीं देता।