दुर्लभ अर्थव्यवस्था (Scarcity Economy) से तात्पर्य उन परिस्थितियों से है जहां संसाधनों की सीमितता के कारण सभी इच्छाओं और आवश्यकताओं को पूरा करना संभव नहीं होता। इसमें सीमित संसाधनों का प्रभावी और कुशल उपयोग करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाता है ताकि अधिकतम संतोष प्राप्त किया जा सके।
दुर्लभ अर्थव्यवस्था (Scarcity Economy) एक ऐसी आर्थिक स्थिति को संदर्भित करती है जहाँ संसाधनों की कमी होती है। इस अवधारणा के मुख्य बिंदु हैं:
दुर्लभ अर्थव्यवस्था की विशेषताएँ
1. सीमित संसाधन: प्राकृतिक संसाधन जैसे भूमि, पानी, खनिज, और ऊर्जा के स्रोत सीमित होते हैं।
2. असीमित आवश्यकताएँ: मानव की इच्छाएँ और आवश्यकताएँ असीमित होती हैं, जिन्हें सीमित संसाधनों से पूरा करना मुश्किल होता है।
3. विकल्प का चयन: दुर्लभता के कारण संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने के लिए विभिन्न विकल्पों में से एक को चुनना पड़ता है।
4. मूल्य और लागत: संसाधनों की कमी के कारण उनकी लागत बढ़ जाती है और उनका मूल्य निर्धारण महत्वपूर्ण हो जाता है।
5. अवसर लागत: किसी एक विकल्प को चुनने पर दूसरे विकल्प को छोड़ना पड़ता है, जिसे अवसर लागत कहते हैं।
उदाहरण
पानी: कई क्षेत्रों में पेयजल की सीमित उपलब्धता के कारण पानी की वितरण और उपयोग में सावधानी बरतनी पड़ती है।
तेल और गैस: जीवाश्म ईंधनों की सीमितता के कारण वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की खोज और उपयोग को प्रोत्साहित किया जाता है।
दुर्लभ अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य होता है संसाधनों का ऐसा प्रबंधन करना जिससे सभी की आवश्यकताएँ पूरी हो सकें और भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी संसाधन संरक्षित रहें।
Other questions
अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्र के नाम बताएं और उनके बारे में विस्तार से वर्णन करें।