रैंचिंग खेती (Ranching Farming)
रैंचिंग खेती से तात्पर्य उस खेती से होता है, जिसमें भूमि की जुताई, भूमि की बुवाई अथवा गुड़ाई इत्यादि नहीं की जाती है। इस तरह की खेती के अंतर्गत फसलों का उत्पादन नहीं किया जाता। रैंचिग खेती में प्राकृतिक वनस्पति उगायी जाती है, जो कि स्वभाविक रूप से अपने-आप उगती है। इस खेती में उगी गई वनस्पति को तरह-तरह के पालतू पशुओं जैसे भेड़, बकरी, गाय, भैंस आदि को चराया जाता है। इस तरह की खेती उन क्षेत्रों में की जाती है, जहाँ पर पशुपालन अधिक होता है, और बड़ी मात्रा में पशुओं के लिए चारे की आवश्यकता होती है।
इस खेती का मुख्य उद्देश्य पशुओं के लिए चारागाह बनाना है अर्थात शाकाहारी पशुओं के लिए खाने योग्य पर्याप्त वनस्पति उपलब्ध रहे, इसलिए ‘रैंचिंग खेती’ की जाती है। इस खेती के अंतर्गत भूखंड को प्राकृतिक वनस्पतियों को उगने के लिए छोड़ दिया जाता है, जो पशुओं के चारे के काम आती है।
इस तरह की खेती भारत, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका के अलावा तिब्बत के पर्वतीय और पठारी क्षेत्रों में की जाती है, तथा विश्व के अन्य पर्वतीय और पठारीय क्षेत्रों में की जाती है।