भारत की वास्तुकला वास्तव में देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का दर्पण है। इसके पक्ष में कुछ प्रमुख तर्क इस प्रकार हैं…
विविधता : भारतीय वास्तुकला में अनेक शैलियाँ दिखाई देती हैं, जो देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रतिबिंबित करती हैं। उदाहरण के लिए, उत्तर भारत में नागर शैली, दक्षिण में द्रविड़ शैली, और कश्मीर में कश्मीर शैली।
धार्मिक प्रभाव : मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च भारत की बहु-धार्मिक संस्कृति को दर्शाते हैं। अजंता-एलोरा की गुफाएँ बौद्ध धर्म के प्रभाव को, जबकि ताज महल इस्लामी वास्तुकला के प्रभाव को प्रदर्शित करता है।
ऐतिहासिक विकास : भारतीय वास्तुकला विभिन्न ऐतिहासिक काल के प्रभावों को दर्शाती है। मौर्य काल के स्तंभ, गुप्त काल के मंदिर, और मुगल काल के किले इस विकास को प्रदर्शित करते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग : स्थानीय पत्थर, लकड़ी और अन्य सामग्रियों का उपयोग भारतीय वास्तुकला में देखा जा सकता है, जो देश के प्राकृतिक संसाधनों के साथ लोगों के संबंध को दर्शाता है।
5. कला और शिल्प : भारतीय इमारतों पर नक्काशी, मूर्तिकला और चित्रकला देश की समृद्ध कला परंपरा को प्रदर्शित करती है।
ये तर्क दर्शाते हैं कि भारतीय वास्तुकला न केवल भवन निर्माण की कला है, बल्कि यह देश के इतिहास, संस्कृति, धर्म और परंपराओं का एक जीवंत अभिलेख भी है।
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